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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 20 Jan 2023 5:53 PM |   643 views

अपेक्षाएं बजट 2023-24 से

बजट 2023-24 से काफी अपेक्षाएं हैं। कोई भी बजट भले ही एक वित्तीय वर्ष से संबंधित हो किंतु उसके अग्रगामी प्रभाव भी पड़ते हैं।  बजट के बहाने सरकार की नीतियों में अल्पकालिक व रणनीतिक सुधार की गुंजाइश भी बनती है।
 
आगामी बजट के द्वारा कुछ बिंदुओं पर अच्छे कदम उठाए जाने की अपेक्षा की जानी चाहिए। 
 
1- एलोपैथिक औषधियों को जेनेरिक के नाम से बेचे जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
 
2- जीएसटी में एक नया वर्ग बना करके पेट्रोलियम उत्पादों तथा अल्कोहल उत्पादों को भी 40% कर के साथ जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए।
 
3- रूस से मिल रहे सस्ते तेल व गैस का लाभ आम जनता व उद्यमों को भी मिलना चाहिए।
 
4- शैक्षणिक सेवाओं को जीएसटी से मुक्त किया जाना चाहिए।
 
5- जैविक उत्पादों के नाम पर उपभोक्ताओं की लूट बंद होनी चाहिए तथा गैर-जैविक व रासायनिक ढंग से उत्पादन पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त कर और सहकारी समितियों को जैविक उत्पादन लागत पर 30% सब्सिडी  दी जानी चाहिए। ऐसी ही व्यवस्था परंपरागत ऊर्जा तथा नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के संबंध में उद्योगों व वाहनों पर भी लागू की जाए।
 
6- कृषि उपज के मूल्य का निर्धारण औद्योगिक उत्पादन की भांति किया जाना चाहिए। इसके लिए कृषि उपज के भंडारण तथा प्रसंस्करण की क्रियाओं को और ज्यादा प्रोत्साहित करने तथा छूटें देने की आवश्यकता है।
 
7- रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों को रियायतें पुनर्जीवित की जाएं। ऐसी रियायतें सार्वजनिक सड़क, वायु व मेट्रो परिवहन में भी लागू करें।
 
8- जनप्रतिनिधियों तथा सार्वजनिक कर्मियों को समान रूप से सेवा के पूरे किए गये वर्षों की संख्या के समान प्रतिशत के रूप में एकल पारिवारिक पेंशन सुनिश्चित की जाए। सैनिकों के लिए यह दर डेढ़ गुनी होनी चाहिए।
 
9- सहकारी व निजी क्षेत्रों के जो प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों के लिए इस तरह की पेंशन योजना लागू करें उन्हें आयकर में नियोक्ता के योगदान के तीस प्रतिशत के समतुल्य कर रियायत दी जानी चाहिए।
 
10- आयकर में धारा 80 के तहत छूटें मध्यम व निम्न आय वर्ग के लिए काफी उपयोगी रही हैं। उन्हें बनाए रखी जानी चाहिए तथा उनकी सीमा भी रु3 लाख की जानी चाहिए।  
 
11- सहकारी बैंकों में जमा पर वार्षिक व्याज रु 20,000 तक कर मुक्त कर दिया जाना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों के मामले में यह सीमा रु 30000 तक होनी चाहिए।
 
12-करमुक्त आय की सीमा भी रु 8 लाख की जानी चाहिए।
 
13- व्यक्तिगत आयकर के स्थान पर भूमि मूल्य कर की व्यवस्था लागू करने की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ने की आवश्यकता है। इससे जमीन तथा संपत्तियों में सट्टेबाजी तथा आय के केंद्रीकरण को कम किया जा सकेगा। इससे भूमि जो कि भारत में अभाव वस्तु है उसके कुशलतम उपयोग को सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी। एक निश्चित आकार से अधिक बड़ी भूमि के सर्किल रेट के हिसाब से मूल्यानुसार करारोपण से खाड़ी के आठ देशों व स्कैंडिनेवियाई देशों की भांति कालेधन व कर चोरी को बड़ी आसानी से समाप्त किया जा सकता है।
 
14- आमजन व ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक सशक्तिकरण में सहकारिता की महती की भूमिका है स्वयं सहायता समूह से लेकर के बहुराज्यीय सहकारी समितियों तक के रूप में। बहु राज्य सहकारी समितियों सहित समूचे सहकारिता के उचित विकास हेतु वर्तमान केंद्र सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का दायित्व माननीय अमित शाह जी को सौंपा हुआ है। देश में सहकारिता का आर्थिक लोकतंत्र के सशक्त उपकरण के रूप में सही विकास को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि व्यक्तिगत स्तर पर दिए जाने वाले समस्त राजकीय सहायता, सब्सिडी व सहायता को कम न किया जाए बल्कि यह सहायता तभी मिले  जब यह लाभ प्राप्त करने हेतु सहकारी समिति के रूप में दावा किया जाए अथवा सहकारी समिति के माध्यम से मांग प्रस्तुत की जाए अर्थात व्यक्तिगत प्रोत्साहन को सहकारी समिति के प्रोत्साहन के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। छोटी कृषि-जोतों को कुशल बनाने के लिए यह और भी आवश्यक है। इस तरह की व्यवस्था के अभाव में भारत में लंबे समय से सहकारिता समुचित ढंग से विकसित नहीं हो पाई है।
 
15- आयकर अधिनियम में संयुक्त हिंदू परिवार की व्यवस्था अनावश्यक व भेदकारी है इसके स्थान पर पारिवारिक व्यवसाय/फैमिली बिजनेस की अवधारणा को समाहित किया जाना चाहिए।
 
प्रो . आर . पी . सिंह ( वाणिज्य संकाय ,गोरखपुर विश्वविद्यालय )
 
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