सांता क्लॉज
सांता क्लॉज का असली साता का नाम संत निकोलस है। इनका जन्म जीसस क्राइस्ट के मृत्यु के करीब 280 साल पश्चात् एक धनी परिवार में हुआ था। इनके बचपन में ही इनके माता- – पिता की मृत्यु हो जाने से ये अनाथ हो गये थे। बचपन से ही सांता क्लॉज प्रभु यीशु को दिल से मानते थे। उन्हें जरुरत मंद बच्चों को तोहफा देना बहुत अच्छा लगता था।
सांता क्लाज लोगों से छिपकर आधी रात को बच्चों को उपहार आदि, दिया करते थे। उनकी पहचान हमेशा छिपी होती थी।
उनके जीवन से जुड़ी एक कहानी बहुत ही प्रसिद्ध है। एक निर्धन व्यक्ति की तीन बेटियाँ थी। गरीबी की वजह से वह व्यक्ति अपनी बेटियों की शादी नहीं कर पा रहा था। किसी तरह मजदूरी करके वह गरीब व्यक्ति अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। इस बात की जानकारी सांता क्लाज को हुई तो वे उस गरीब व्यक्ति के घर के चिमनी के पास, पहुँच कर सूख रहे मौजे में सोने के सिक्के से भरी थेलियों को रख दिया। इस तरह सोने के सिक्के पाकर उस गरीब व्यक्ति की गरीबी अमीरी में तब्दील हो गई। तभी से यह परिपाटी शुरू हो गई क्रिसमस की आधी रात बच्चे अपने घरों के पिछवाड़े इस उम्मीद से
मौजे लटकाते है कि सांता क्लाब्ज आयेंगे और उन्हें तरह – तरह के मनपसंद् के तौहफे मिल जायेंगे।
इस तरह पूरी दुनियों के बच्चे सांता क्लॉज को क्रिसमस के जनक( father of christmas) के रूप में मानते हैं। संता क्लॉज को ईश्वर का दूत माना जाता है। ऐसी मान्यता है हिं सांता क्लॉज क्रिसमस के एक दिन पूर्व 24 दिसम्बर की रात्रि पर प्रकट होकर अपने उड़ने वाली गाड़ी ” रेनडिलर से आकर गरीब, मजबूर असहाल अच्छे बच्चों के बीच मिठाई, चाकलेट व खेल- खिलौने बाँटते हैं।
क्रिसमस भगवान ईशु के जन्म दिन 25 दिसम्बर को प्रेम व उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व आपसी प्रेम, सद्भाव वं शांति का संदेश देने का दिन है |
-मनोज” मैथिल”