नव नालन्दा महाविहार द्वारा ‘धम्मयात्रा’ का आयोजन किया गया

जेठियन से स्वर्ण भंडार की यह यात्रा लगभग एक घंटे की थी । इसकी दूरी लगभग 13 किलोमीटर की है। प्रातः जेठियन ग्राम में भिक्षाटन हेतु प्रवेश किया गया। ग्रामवासियों ने भिक्षु महासंघ को भोजन दान किया।
तत्पश्चात धम्म यात्रा का उद्घाटन- समारोह हुआ। समापन समारोहवेणुवन, राजगीर में हुआ।
कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने जेठियन गाँव में आयोजित सभा में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि नव नालन्दा महाविहार प्राचीन नालंदा महा विहार का उत्तराधिकारी बताया। यह धम्म यात्रा भगवान बुद्ध से प्रेरित एक शान्ति यात्रा है। उसकी श्रेष्ठ परम्परा है।
बुद्ध की परम्परा में संशय न होकर क्रियात्मकता होनी चाहिए । हम लोग उस बहाने समभाव व सद्भावना बढ़ाने का यत्न कर रहे हैं। यही विश्व की आवश्यकता है। आज वैश्विक हिंसा के माहौल में बुद्ध एक आलोक की तरह हैं। उनकी राह पर पद यात्रा करना अपने चित्त को परिमार्जित करना है तथा समाज को प्रकाशित करना है।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. दीपंकर लामा ने इसे महत्त्वपूर्ण यात्रा बताया। संचालन करते हुए प्रो. राणा पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि यह यात्रा पूरे विश्व के लिए मंगलकारी है। नवोदय विद्यालय के विद्यार्थियों ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। आरम्भ में डॉ. धम्म ज्योति एवं भिक्षु संघ ने मंगल- पाठ प्रस्तुत किया। जेठियन के साधु शरण सिंह का सम्मान कुलपति ने किया। जेठियन गाँव के विनोद विप्लव ने धन्यवाद- ज्ञापन किया। विचार-आयोजन एवं यात्रा में देश भर से आगत उपस्थित थे।
इस यात्रा में नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा के साथ लाइट ऑव बुद्ध धर्म फाउण्डेशन इन्टरनेशनल, अमेरिका; बोधगया मंदिर प्रबन्ध समिति, बोधगया; इन्टरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फिडरेशन, नई दिल्ली की भी सहभागिता थी। सैनिक स्कूल, सरस्वती विद्या मंदिर, पुलिस एकेडमी,सीआरपीएफ का भी सहयोग था। इनके सम्मान्य प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार प्रकट किए।
नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी प्रो रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ के अनुसार प्रो. रिचर्ड डिक्सी एवं एन. दोर्जी, सचिव, बीटीएमसी ने अपने व्याख्यान में इस आयोजन को ‘बुद्ध की आभा का प्रतिबिम्ब’ कह कर अपना भाव प्रकट किया। प्रो. रिचर्ड डिक्सी ने आगत जनों का वृहत्तर धन्यवाद भी प्रकट किया।
विश्व के अन्य संस्थाओं के साथ डॉ. नीहारिका लाभ, नव नालन्दा महाविहार के आचार्य, छात्र, शोध छात्र, गैर शैक्षणिक सदस्यों की भी सम्मानित भागीदारी थी।
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