विश्व एड्स दिवस
एड्स के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने की दृष्टि से 01दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जा रहा है । संयुक्त राष्ट्रसघ ने 01 दिसम्बर 1988 से विश्व स्तर पर एड्स दिवस मनाने की शुरूआत की।
जिसकी प्रतिवद्धता दुनिया के 194 देशो ने वर्ष 2030 तक एड्स मुक्त विश्व बनाने की है | WHO की अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार 2020 के अन्त तक दुनिया भर में करीब 37.7मिलियन लोग इससे ग्रसित पाये गये जिनमें दो तिहाई यानी करीब 25.4 मिलियन लोग अफ्रीकी मुल्क के हैं । वर्ष 2020 में 6.8 मिलियन लोग HIV से सक्रमित हो कर मारे गये और 1.5 मिलियन नये लो ग HIV से ग्रसित हुए ।
HIV से ग्रसित व्यक्ति में HIV वायरस शरीर में उन कोशिकाओं पर हमला करता है जो शरीर को विविध प्रकार संक्रमनो से रोकने में मदद करता है । शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बिल्कुल खत्म हो जातीहै । एड्सके मरीज का शरीर सूखकर बिल्कुल काँटा हो जाता है |
सर्वप्रथम 19वी सदी में अफ्रीका के एक खास प्रजाति के बन्दरो में एड्स का वायरस मिला था। बंदरों से यह बीमारी मनुष्यों में आ गई। HIV वायरस 1959में कागो के एक बीमार व्यक्ति के रक्त के नमूने में पाया गया। 1960 में अफ्रीका के हैती तथा कैरीबिआई द्धीप में यह बीमारी पहुची। 1970 में यह वायरस कैरीबिया से अमेंरिका के न्यूयार्क शहर में पहुंचा।
तत्पश्चात् यह बीमारी दुनिया के तमाम देशो में फैल गयी। यह वायरस मानव के रक्त यौन तरल पदार्थ , स्तनो के दूध में रहता है । असुरक्षित यौन संबंधो से यह बीमारी बहुत तेजी से
फैलती है ।
एड्स से बचाव हेतु सदैव सुरक्षित रक्तदान, सुरक्षित यौन सम्बन्ध व रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास हेतु पौष्टिक भोजन का सेवन परम आवश्यक है ।
-मनोज ’’मैथिल’’