‘‘संवैधानिक मूल्यों एवं मूलभूत सिद्धान्तों पर आधारित गोष्ठी‘‘ का आयोजन कल किया गया
गोरखपुर -राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) संविधान दिवस के अवसर पर कल संग्रहालय सभागार में ‘‘संवैधानिक मूल्यों एवं मूलभूत सिद्धान्तों पर आधारित एक गोष्ठी‘‘ का आयोजन किया गया।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि/वक्ता ध्रुव नारायण, वरिष्ठ अधिवक्ता, सिविल कोर्ट, गोरखपुर तथा विशिष्ट अतिथि/वक्ता सुभाष चन्द्र चौधरी, पूर्व वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त, पूर्वोत्तर रेलवे, डाॅ0 हरिशरण शर्मा, प्रधानाचार्य, प्रभा इन्स्टीच्यूट आफ मेडिकल साइन्स गीडा तथा राजेन्द्र सिंह, पूर्व विधि अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर रहे।
कार्यक्रम की शुरूआत संविधान की उद्देशिका का पठन/शपथ सभी अतिथियों के साथ ही साथ सभी कर्मचारियों को दिलायी गयी।
गोष्ठी के उपर्युक्त विषय पर सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता ध्रुव नारायण, वरिष्ठ अधिवक्ता, सिविल कोर्ट, गोरखपुर ने कहा कि संविधान दिवस मनाने का अर्थ सोये हुए लोगों का जगाना है। जरूर कोई तो लिखा होगा- कागज और पत्थर का भी नसीब। जिन्दगी हमें बहुत खूबसूरत दोस्त देती है लेकिन अच्छे दोस्त हमें खूबसूरत जिन्दगी देते हैं।
संविधान कहता है कि जीवन में कभी मौका मिले तो सारथी बनना, स्वार्थी नहीं। संविधान एक तरफ जहाॅं लोगों नास्तिक रहने की आजादी देता है वहीं प्रत्येक धर्म, जाति एवं समुदाय को अपनी अपनी मान्यता के अनुसार आचरण करने स्वतंत्रता प्रदान करने सहित वैज्ञानिक चिंतन व मानववाद की बात करता है। सच्चा मित्र और संविधान जैसी पवित्र पुस्तक एक जैसे होते हैं। दोनों ही चुनौती के समय हौसला बढ़ाते हैं।
संविधान की सभी धाराएं एक नसीहत है और नसीहत वो सच्ची बात है, जिसे हम कभी गौर से नहीं सुनते हैं। तारीफ वह धोखा है, जिसे हम पुरे ध्यान से सुनते हैं। हमारे देश का महान संविधान ऐसा है कि हर चीज उठाई जा सकती है, सिवाय गिरी हुई सोच के। मित्रों हम किताबों से सीखते हैं भूगोल, भाषा और त्रिकोण, पर जीवन में सबसे उपयोगी होता है हमारा दृष्टिकोण। संविधान एक वृक्ष है, जो दिल में उगता है दिमाग में पलता है और जुबान से फल देता है। हमारा संविधान दीपक की पवित्र ज्योति है जो हमें सही मार्ग पर चलना सिखाती है।
विशिष्ट वक्ता सुभाष चन्द्र चौधरी ने कहा कि संविधान हमें समता, स्वतंत्रता, बन्धुत्व व न्याय पर आधारित समाज व राष्ट्र निर्माण का संदेश देता है। डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर ने एक बार कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर उसे मानने वाले तथा उसको लागू करने वाले अच्छे न हो तो एक अच्छा संविधान भी व्यर्थ हो जायेगा। हमारा संविधान हमें सामाजिक चेतना व राजनैतिक एकता के साथ-साथ आर्थिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। संविधान महिलाओं की स्वतंत्रता हेतु विशेष अधिकार प्रदान करता है। अन्य वक्ताओं ने उक्त विषय पर अपने सारगर्भित विचार रखे।
कार्यक्रम के अन्त में संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ0 मनोज कुमार गौतम ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा संविधान पूरे विश्व में अद्भूत एवं अद्वितीय है। हमारा संविधान हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हुए हमें सुरक्षा भी प्रदान करता है।
उक्त अवसर पर अनन्त कीर्ति आनन्द, डाॅ0 रामायन राम, रामनरेश राम, सुनीता, कृष्ण जीवन, नियाज अंसारी, अविनाश यादव, नेहा, अंकित, शशिकला सिंह, वसीम, शहीना खातून, हीरा खातून, जफर, दुर्गेश सिंह, आर0एन0दास, मनोज कुमार रावत, मीनू दास आदि सहित तमाम लोग मौजूद रहे।