विश्व स्ट्रोक दिवस
स्ट्रोक को हिन्दी में लकवा कहा जाता है । यह मस्तिष्क से जुड़ी एक गम्भीर बीमारी है। आज विश्व में ब्रेन स्ट्रोक अर्थात् लकवा तीसरी मौत का सबसे बड़ा कारण है। प्रथम स्थान पर हृदय रोग और द्वितीय स्थान पर कैंसर है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 55 वर्ष की उम्र के बाद पाँच में से एक महिला और छह पुरूष में लकवा से ग्रसित होने की प्रबल आशंका रहती है।
लकवा से पीड़ित व्यक्ति का चेहरा एक तरफ झुक जाता है, एक हाथ या पैर में कमजोरी होजाती है और बोलने में तकलीफ होती है । हृदय रोग की तरह लकवा भी एक साइलेंट किलर ( Silent Killer) है ।
आनुवंशिकी, मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कॉलेस्ट्राल का उच्च स्तर, शराब व धूम्रपान का सेवन, मानसिक तनाव व दुश्चिंता स्ट्रोक या लकवा के प्रमुख कारण है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में मस्तिष्क के भीतर नसों में खून का जमाव या नसों का फटना होता है। जिसे दवा एवं आपरेशन से ठीक किया जाता है ।
लकवा से पीड़ित व्यक्ति के लिए साढ़े चार घंटे का समय गोल्डन आवर होता है,जिसमें औषधि देकर खून का थक्का होने से बचाव कर विकलांगता से बचाया जा सकता है। विश्व भर में 29 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड स्ट्रोक डे’ जनजागरूकता फैलाने के ख्याल से मनाया जाता है ।
संतुलित आहार व संतुलित जीवनशैली, प्रातःकाल के भ्रमण, नियमित व्यायाम व योग प्रणायाम से लकवा से बचा जा सकता है। अपनी रूचि (Hobby) के अनुरूप अपने खाली समय का सदुपयोग करना श्रेयस्कर है। चिंता न कर चिंतन कर अपनी समस्याओं का निदान करें।