आवत – विगत वर्ष
नाचत गावत स्वागत में हमने खुशियाँ हर साल मनाया
लेकिन रोवत गावत साल बितावत नैनन पोछ न पाया
मूर्ख बने सब और सदा उसने हर बार हमें भरमाया
देत हवें हर साल हमें सब मित्र मुबारक और बधाई
दावत और खुशी दमदार मनावत बांटत होय मिठाई
माह जहाँ कछु बीत गयो सबका तब नूतन पीर बढ़ाई
कोविड रूप नया जिससे बहुतों पर जान की आफत आई
बात नई कुछ दीख नहीं तब क्या करते हम एक भी इच्छा
चेन्ज किया अब रूप तृतीय हुआ फिर से तब होय परीक्षा
सोच मुबारकबाद किसे कब दें गर है मन में तव शिक्षा
याद करो वह कोविड दूर भगे तुम लो उसकी कुछ दीक्षा
डाॅ0 भोला प्रसाद आग्नेय
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