Saturday 20th of April 2024 04:36:37 PM

Breaking News
  • राहुल गाँधी का बड़ा आरोप , लोगो पर एक इतिहास – एक भाषा भोपना चाहती है बीजेपी |
  • भारतीय रेलवे सुपर एप्प लांच करेगे |
  • मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत , कोर्ट ने 26 अप्रैल तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 29 Dec 5:41 PM |   809 views

कीट व रोग से करें सरसों के फसल की सुरक्षा

लखनऊ-आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के सेवानिवृत्त  प्राध्यापक (कीट विज्ञान) ए्वं अध्यक्ष डा रवि प्रकाश मौर्य  ने सरसों की खेती करने वाले किसानों को सलाह दिया है कि इस  समय सरसों में माहूँ यानी चेपा कीट  मुख्य रूप से लगने का ज्यादा डर रहता  है।

इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पीलापन लिये हुए हरे रंग के होते है  जो झुंड के रूप में पौधों की पत्तियों, फूलों, डंठलों, फलियों में  रहते हैं। यह कीट छोटा, कोमल शरीर वाला और हरे मटमैले भूरे रंग का होता है।  बादल घिरे रहने पर इस कीट का प्रकोप तेजी से होता है। इसकी रोकथाम के लिए कीट ग्रस्त पत्तियों को प्रकोप के शुरूआती अवस्था में ही तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।  सरसों के नाशीजीवों के प्राकृतिक शत्रुओं जैसे इन्द्रगोप भृंग, क्राईसोपा, सिरफिडफ्लाई का फसल वातावरण में संरक्षण करें। पीला स्टिकी ट्रेप 30 प्रति है की दर से   लगाये। इस पर माहूँ कीट आकर्षित होकर चिपक जाते है।

एजाडिरेक्टीन (नीम आयल)0.15 प्रतिशत  2.5 लीटर या   इमिडाक्लोप्रिड  200 मिली को 600-700 लीटर पानी मे घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से फसल को कीट से सुरक्षित रखा जा सकता है। सरसों में झुलसा रोग का प्रकोप ज्यादा हो सकता है। इस रोग में पत्तियों और फलियों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं, जिनमें गोल छल्ले केवल पत्तियों पर स्पष्ट  दिखाई देते हैं।

जिससे पूरी पत्ती झुलस जाती है। इस रोग पर नियंत्रण करने के लिए 2 किलोग्राम मैंकोजेब 75 प्रतिशत   डब्ल्यू. पी. या  2 किलोग्राम जीरम 80 प्रतिशत डब्ल्यू. पी. या 2  किलोग्राम जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू. पी.  या 3 किग्रा. कापर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू. पी. को  600-700 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

पहला छिड़काव रोग के लक्षण दिखाई देने पर और दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 से 20 दिनों के अंतर पर करें। अधिकतम 4 से 5 बार छिड़काव करने से फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है।

Facebook Comments