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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 12 Nov 2021 4:35 PM |   243 views

प्रधानमंत्री ने सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा भागीदारी के लिए योजना का शुभारंभ किया

नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों को भागीदारी का अवसर देने के लिए शुक्रवार को रिजर्व बैंक की दो उपभोक्ता-केंद्रित योजनाओं का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे।

भारतीय रिजर्व बैंक की दो अभिनव उपभोक्ता केंद्रित पहल… खुदरा प्रत्यक्ष योजना और केंद्रीय एकीकृत लोकपाल योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं से निवेश का दायरा बढ़ेगा और ग्राहक शिकायत समाधान प्रणाली को बेहतर किया जा सकेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘खुदरा प्रत्यक्ष योजना से छोटे निवेशकों की पहुंच बढ़ेगी और वे प्रतिभूतियों में निवेश कर निश्चित प्रतिफल प्राप्त कर सकेंगे। इससे सरकार को भी राष्ट्र निर्माण के लिए कोष उपलब्ध होगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार के पिछले सात साल के कार्यकाल के दौरान बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की पहचान पारदर्शी तरीके से हो रही है और समाधान और वसूली (रिकवरी) पर ध्यान दिया जा रहा है।

उन्होंने उपभोक्ता केंद्रित इन योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इनसे लोगों के लिए निवेश के रास्ते खुलेंगे और पूंजी बाजार तक उनकी पहुंच आसान और सुरक्षित हो सकेगी। रिजर्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इसका मकसद शिकायत समाधान प्रणाली को और बेहतर करना है। इससे केंद्रीय बैंक के नियमन के तहत आने वाली इकाइयों के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों का समाधान बेहतर तरीके से हो सकेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘इस योजना से ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा वास्तविकता बन गई है। भारतीय रिजर्व बैंक की खुदरा प्रत्यक्ष योजना का उद्देश्य सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों की पहुंच बढ़ाना है। इसके तहत खुदरा निवेशकों के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों में सीधे निवेश करने का रास्ता खुल जायेगा।

इस योजना के तहत निवेशक भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से ऑनलाइन सरकारी प्रतिभूति खाते आसानी से खोल सकते हैं और उन प्रतिभूतियों का रखरखाव कर सकते हैं। यह सेवा नि:शुल्क होगी।

इस योजना की शुरुआत के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में आ गया है, जहां इस तरह की सुविधा उपलब्ध है।

एकीकृत लोकपाल योजना का उद्देश्य शिकायतों को दूर करने वाली प्रणाली में और सुधार लाना है ताकि संस्थाओं के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक नियम बना सके।

इस योजना की केंद्रीय विषयवस्तु ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा पर आधारित है। इसके तहत एक पोर्टल, एक ई-मेल और एक पता होगा, जहां ग्राहक अपनी शिकायतें दायर कर सकते हैं। ग्राहक एक ही स्थान पर अपनी शिकायत दे सकते हैं, दस्तावेज जमा कर सकते हैं, अपनी शिकायतों-दस्तावेजों की स्थिति जान सकते हैं और सुझाव दे सकते हैं।

ऐसी शिकायतें जो लोकपाल योजना के तहत नहीं आती हैं, उनकी सुनवाई उपभोक्ता शिक्षा एवं संरक्षण प्रकोष्ठ (सीईपीसी) द्वारा की जाएगी। ये प्रकोष्ठ रिजर्व बैंक के 30 क्षेत्रीय कार्यालयों में स्थित हैं।

रिजर्व बैंक ने हाल के समय में उपभोक्ता शिकायत निपटान प्रणाली को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने आंतरिक लोकपाल को मजबूत करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, ग्रेडेड नियामकीय और निगरानी कार्रवाई शुरू की है। इसके अलावा 2019 में केंद्रीय बैंक ने शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस) की शुरुआत की थी।

रिजर्व बैंक की वैकल्पिक शिकायत समाधान व्यवस्था में फिलहाल तीन लोकपाल योजनाएं….बैंकिंग लोकपाल योजना (1995 में शुरू), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना (2018) और डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना (2019) शामिल हैं।

(भाषा)

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