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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 5 Oct 2021 5:26 PM |   332 views

गलती के एहसास

हमार एगो पट्टीदार गोपाल भईया के नोकरी कवनो बहुते बड़ पद पर लाग गइल आ ऊ दिल्ली में रहे लगलन| कबो काल्ह एने अइबो करिहें त खाली गिटिर पिटिर अंग्रेजी भा हिंदी में बोलिहें| केहू कुछ भोजपुरी में कुछ बोल दी त कहिहें कि ” गवाॅरू भाषा में क्यों बोलते हो? ” भोजपुरी बोले वालन के प्रति हरदम उपेक्षा आ तिरस्कार के भावना रहबे करे ओके अपमानितो क देत रहलन|
 
एक बेर कवनों समस्या के समाधान खातिर गांवे आइल रहलन आ बइठकी चलत रहे|
 
ओ बइठकी में हमूं आपन विचार भोजपुरी में कहि दिहलीं, गोपाल भइया तुरंत कहलन ” गेट आउट, देहाती अनपढ़ गवांरू भाषा बोलने वाले का दिमाग भी देहाती अनपढ़ और गवांरू हो जाता है.” हम उनसे कहलीं “ए गोपाल भइया, भाषा अपना जगह पर बा आ दिमाग अपना जगह पर बा.जवन खून तोहरा शरीर में बहता उहे खूनवा हमरो शरीर में बहता.आपन सोच बदल देता, लइकाईं में तूं हूं त भोजपुरिए न बोलत रह ल. आज न बड़ अफसर हो गइल बाड़ त भोजपुरी से घृणा करत बाड़ |
 
” एतना सुनते उनकर पारा हाई हो गइल, हमरा पर गरजत कहलन “हम दोनो का खून एक हो ही नहीं सकता. तुम्हारा खून देहाती अनपढ़ और गवांरू है तथा मेरा खून पढ़ा लिखा, तेज तर्रार व विद्वान है| हम दोनों का खून एक में मिल नहीं सकता| पट्टीदार हो पट्टीदार की तरह रहो अन्यथा अपने घर में जाकर बंद हो जाओ|
” उनके बात सुनके हमूं चुपचाप अपना घरे चलि अइलीं|
 
गांव के कार्यक्रम खतम भइल आ गोपाल भइया अपने परिवार के साथे दिल्ली के ट्रेन पकड़े खातिर बलिया आवत रहलन, रास्ता में एक्सीडेंट हो गइल आ उनके लइका के शरीर से बहुते ढेर खून गिर गइल  , ऊ बेहोश हो गइल. केहू तरे ओके लेके अस्पताले गइलन|
 
डाक्टर तुरन्त खून चढ़ावे के कहलन, ब्लड बैंक में ओकरे ग्रुप वाला खून ना रहे| तुरंत फोन क के हमके बोलवलन काहें कि उनके ई मालूम रहे कि हमार ब्लड ग्रुप उहे ह जवन उनका लइका के है| हमरा पहुंचते भोजपुरिए में कहलन “ए हमार छोट भाई आग्नेय अपना भतीजा के जान बचावे खातिर आपन एक बोतल खून दे द ” हमूं उनके बात याद पड़ावत कहलीं “हमार खून त देहाती अनपढ़ आ गवांरू ह तोहरे लइका के खून में मिलबे ना करी |आ दोसर बात ई कि भोजपुरी कइसे बोले लग ल|
 
हमार बात सुनते माफी मांगत कहलन ” हमके आपन गलती के एहसास हो गइल बा अब हम भोजपुरी कब्बो ना भुलाइब. जल्दी से खून दे के अपने भतीजा के जान बचा व| ” तुरंत हमार खून उनके लइका के चढ़ावल गइल, ऊ होश मे आ गइल, फिर एक हफ्ता बाद ऊ लोग दिल्ली चल गइल| 
 
डा . भोला प्रसाद ‘ आग्नेय “
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