किराये का परिधान
यह शरीर किराये का परिधान है
किराया जिसका सत्कर्म प्रधान है
मदद दीन- दुखियों की करते रहो
दुःख दर्द तुम उनका हरते रहो
वही तो परलोक में पहचान हैं
यह शरीर किराये का परिधान है
संतो महात्माओं की शरणों में
मिले रोशनी सदा इन चरणों में
खुले दिव्य चक्षुमिटता अज्ञान है
यह शरीर किराये का परिधान है
रहो दूर माया की छाया से
करो मोह भंग स्वर्णिम काया से
सत्मार्ग बस सतगुरु का ध्यान है
यह शरीर किराये का परिधान है
-भोला प्रसाद ” आग्नेय
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