आधुनिक खेती के तरफ किसान हरेराम चौरसिया के बढ रहें हैं कदम
बलिया- जिला मुख्यालय से 32 किमी. उत्तर दिशा मे स्थित मनियर नगर पंचायत है। इस पंचायत के 50 बर्षीय कृषक है, हरेराम चौरसिया। जिनकी शिक्षा इण्टरमीडिएट है।
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर (डा. ) रवि प्रकाश मौर्य ने अपने केन्द्र के उधान वैज्ञानिक राजीव कुमार सिंह , पादप प्रजनन वैज्ञानिक डा .मनोज कुमार के साथ इस प्रगतिशील कृषक के प्रक्षेत्र का भ्रमण कर उनसे चर्चा की। प्रो. मौर्य ने बताया कि हरेराम के अनुसार उनकी पुस्तैनी जमीन मात्र 4 एकड है। उनके पास आधुनिक सिंचाई यंत्र जैसे – सोलर पम्प, स्प्रिन्कलर सेट, टपक सिंचाई यंत्र आदि की सुविधा है। खरीफ में धान. भिण्डी, करेला, लोबिया, नेनुआ की खेती किये है। एवं जायद में आधा एकड़ में खीरा की खेती किये थे। जिसमें पैदावार 80 कुन्टल से रू80 000 प्राप्त हुई। वर्तमान में एक एकड. क्षेत्रफल में नाली में भिण्डी, मेड़ पर नेनुआ, मक्का, एवं लोबिया लगाया है जिसे आम भाषा मे सह फसली खेती या अन्तः फसली खेती कहते है।
इन्होंने कृषि विविधीकरण अपनाया है। इसका सबसे फायदा होता है,कि एक मुख्य फसल के साथ साथ अन्य फसलों का लाभ मिलता है। तथा अधिक बर्षा या अन्य कारणो से कोई फसल क्षति हुई तो कोई न कोई फसल बच जाती है।
एक एकड़ क्षेत्रफल में सघन वागवानी के रूप में 5* 5 मीटर की दूरी पर आम की अरुणिमा, अम्बिका, मल्लिका, लगड़ा, चौसा आदि के 21पेड़, अमरूद की इलाहाबादी सफेदा, लखनऊ -59, धवल, श्वेता, ललित, लालिमा, एवं चाईना आदि के 150 पेड़ 3 साल पहले लगाये थे जिसमें इस बर्ष से फलत प्रारंभ है। नीबू की कागजी बारहमासी की 140 पेड़ लगा रखा है। जिसे लगाये मात्र 6 माह हो रहा है।
आधुनिक कृषि तकनीकी की जानकारी हेतु कृषि विश्वविद्यालयों भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के साथ साथ कृषि विज्ञान केन्द्र के सम्पर्क में रहते है।
अच्छी प्रजाति के सब्जियों के बीज एवं फलदार पौधौ के लिये अधिकारियों /वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील कृषकों के सम्पर्क में रहते है। हरेराम को राष्ट्रीय, प्रदेश स्तर एवं जनपद स्तर से दर्जनों पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त है।
इनके तीन बेटे एवं एक बेटी है, अपने सबसे बडे़ बेटे को स्नातक कृषि करा रहे है। जिससे इनकी खेती को और चार- चाँद लगे।। इनके प्रक्षेत्र को देखने के लिये प्रति दिन बाहर से भी किसान आते रहते है।