Wednesday 17th of September 2025 03:17:22 AM

Breaking News
  • मोदी सरकार का नशा मुक्त भारत का संकल्प ,अमित शाह बोले – 2047 तक ख़त्म होगा खतरा |
  • शिक्षकों के अनुभव पर योगी सरकार का जोर , TET अनिवार्यता के आदेश को SC में चुनौती देने के निर्देश |
  • टीम इंडिया को मिला न्य स्पांसर ,अपोलो टायर के साथ हुआ करार 
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 21 Jun 2021 11:31 AM |   806 views

राजनीति का कायदा

 
मैं पैदल बाजार जा रहा था, अचानक एक लक्जरी गाड़ी मेरे सामने आ गयी. अपने को बचाते हुए मैं किनारे हो गया| उस गाड़ी के चालक ने मुझे आवाज लगाते हुए कहा कि “मेरे नेता जी आप को बुला रहे हैं. ” इतने में वह नेता भी गाड़ी से बाहर आकर मुझे सीने से लगाते हुए बोला  ” मुझे पहचान रहे हो न मित्र?” मैंने कहा ” हाँ, हाँ क्यों नहीं? मैं तुमसे मिलने वाला था.”
        ” हाँ, हाँ बोलो, क्या आदेश है. “
          “आदेश नहीं, मैं भी अब राजनीति में आना चाहता हूँ.”|
 
 इतना सुनते ही वह जोर का ठहाका लगाते हुए बोला “राजनीति तुम्हारे वश की बात नहीं है, इसके लिए दिमाग तेज चाहिए,” उसकी बात सुन कर मैं अतीत के झूले में हिचकोले खाने लगा कि मैं सदा सभी कक्षाओं में प्रथम स्थान पाता रहा और यह कक्षोन्नति पाते हुए दसवीं कक्षा तक पहुंचा लेकिन दसवीं कक्षा आज पास नहीं कर सका फिर भी यह अपने को मुझसे तेज दिमाग वाला समझ रहा है| फिर अतीत के झूले से उतर कर पूछा ” तुम कबसे तेज दिमाग वाले हो गये हो? 
 
” यह सत्य है कि पढ़ने लिखने और नौकरी करने में दिमाग तुम्हारा तेज है लेकिन राजनीति के लिए गधे और घोड़े का दिमाग चाहिए, जब चाहे तब किसी को गधे की दुलत्ती लगा दो और जब चाहे तब घोड़े की तरह एक पार्टी से दूसरी पार्टी में छलांग लगा लो|
 
           ” आखिर अपना कुछ स्वाभिमान भी तो होता है
           ” राजनीति में आने से पहले अपने स्वाभिमान को किसी लाकर में बंद कर देना पड़ता है|जब चाहो किसी को गाली दे दो और लालीपॉप देखो तो हाथ मिला लो|
              “और अपना कुछ सिद्धांत भी तो होता होगा.”
          ” सिद्धांत केवल पार्टी का होता है लेकिन नेता का कोई सिद्धांत नहीं होता| नेता बिना पेंदी का लोटा है जब जिधर चाहे उधर लुढ़क जाता है|
 
         ” अच्छा छोड़ो इन बातों को, अभी कहाँ जा रहे हो? “
           “अगले साल चुनाव है न बस गुणा गणित करके अपनी पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी ज्वाइन करने जा रहा हूँ |”इसके बावजूद यदि चुनाव परिणाम पहली पार्टी के पक्ष में हो गया तो? 
 
“तो क्या, फिर पहली पार्टी ज्वाइन कर लूगां. देखो भाई राजनीति का कायदा है वहीं रहो जहाँ फायदा है. बंगाल में ही देख लो—–
       कुछ परिंदे अपने दरबे से
        मुख मोड़ लिए थे
        नये दरबे से जोड़ लिए थे
         पर कोई लाभ नहीं मिला
          कमल दिल का नहीं खिला
          फिर वो पुराने दरबे में
          धीरे धीरे आने लगे हैं
         गुटुरगूं-गुटुरगूं गाने लगे हैं|
 
   इसके बाद मैं भी चुपचाप उसे नमस्कार करके बाजार की ओर चल दिया|
  -डाॅ० भोला प्रसाद आग्नेय
Facebook Comments