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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 18 Jun 2021 8:06 PM |   243 views

रानी लक्ष्मीबाई एवं स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित आनलाइन छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया

गोरखपुर -राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा आज रानी लक्ष्मीबाई के शहादत दिवस के अवसर पर रानी लक्ष्मीबाई एवं स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित आनलाइन छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

कोविड-19 महामारी अर्थात कोरोना काल में संग्रहालय दर्शकों के लिए प्रतिबन्धित होने के कारण जनसामान्य को संक्रमण से सुरक्षित रखने के दृष्टिगत उक्त प्रदर्शनी का आयोजन आनलाइन किया गया। जिसे सोशल मीडिया ट्यूटर, संग्रहालय के यू ट्यूब चैनल, फेसबुक, व्हाट्स एप्प एवं लिंकडिन आदि के माध्यम से अवलोकन किया जा सकता है। प्रदर्शनी का आॅनलाइन आयोजन इस उद्देश्य से किया गया है कि अपने घर बैठे लोग उक्त आयोजन से लाभान्वित हो सके।

1857 के स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र झाँसी भी बन गया था जहाँ हिंसा भड़क उठी। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा को सुदृढ़ करना शुरू कर दिया और एक स्वयंसेवक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भर्ती की गयी और उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया। साधारण जनता ने भी इस संग्राम में सहयोग दिया। 1857 के सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में दुश्मनों ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया। रानी ने सफलतापूर्वक इसे विफल कर दिया। 1858 के जनवरी माह में ब्रितानी सेना ने झाँसी की ओर बढ़ना शुरू कर दिया और मार्च के महीने में शहर को घेर लिया। दो हफ्तों की लड़ाई के बाद ब्रितानी सेना ने शहर पर कब्जा कर लिया। परन्तु रानी दामोदर राव के साथ अंग्रेजों से बच कर भाग निकलने में सफल हो गयी। रानी झाँसी से भाग कर कालपी पहुँची और तात्या टोपे से मिली। तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओं ने ग्वालियर के विद्रोही सैनिकों की मदद से ग्वालियर के एक काफिले पर कब्जा कर लिया। बाजीराव प्रथम के वंशज अली बहादुर द्वितीय ने भी रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया और रानी लक्ष्मीबाई ने उन्हें राखी भेजी थी इसलिए वह भी इस युद्ध में उनके साथ शामिल हुए। 18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रितानी सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई। रानी लक्ष्मीबाई अपनी सुन्दरता, चालाकी और दृढ़ता के लिये उल्लेखनीय तो थी ही, विद्रोही नेताओं में सबसे अधिक खतरनाक भी थी। स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष एवं बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

उक्त प्रदर्शनी में रानी लक्ष्मीबाई के जीवन संघर्षों के छायाचित्र सहित स्वतंत्रता आन्दोलन 1857 से लेकर 1947 तक की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं के छायाचित्र का अवलोकन किया जा सकता है। देशभक्तिपूर्ण संघर्ष की इस वीरगाथा को छायाचित्रों के माध्यम से राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

इस प्रदर्शनी का मूल उद्देश्य अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद रणबांकुरों की शहादत को नमन करते हुए नई पीढ़ी के युवाओं में देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत करना व स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाये रखने का जज्बा पैदा करना है।

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