Friday 3rd of May 2024 07:33:01 AM

Breaking News
  • मुलायम के गढ़ में योगी का रोड शो , बुलडोजर पर खड़े होकर लोगो ने किया स्वागत , बोले -निस बार इतिहास रचेगा |
  • ममता बनर्जी को पहले से ही थी शिक्षक भर्ती घोटाले की जानकारी , TMC के पूर्व महासचिव कुणाल घोष ने किया बड़ा दावा |  
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 18 Apr 6:25 PM |   302 views

रबी अनाज भंडारण की वैज्ञानिक तकनीक अपनाए किसान भाई

रबी फसलों की कटाई  समाप्ति की ओर है। कटाई मड़ाई के  बाद सबसे जरूरी काम अनाज भंडारण का होता है। अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए वैज्ञानिक विधि अपनाने की जरूरत होती है, जिससे अनाज को लंबे समय तक चूहे, कीटों, नमी, फफूंद आदि से बचाया जा सके।
 
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधौगिक विश्वविधालय  कुमारगंज  अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया  के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि भण्डारण की सही जानकारी न होने से 10 से 15 प्रतिशत तक अनाज नमी, दीमक, घुन, बैक्टीरिया द्वारा नष्ट हो जाता है। अनाज को रखने के लिए गोदाम की सफाई कर दीमक और पुराने अवशेष आदि को बाहर निकालकर जलाकर नष्ट कर दे।  दीवारों, फर्श एवं जमीन आदि में यदि दरार हो तो उन्हे सीमेंट, ईट से बंद करे दें। टूटी दीवारों आदि की मरम्मत करा दें।
 
भण्डारण में होने वाली इस क्षति को रोकने के लिए किसान सुझावों को ध्यान में रखकर अनाज को भण्डारित कर सकते हैं। अनाजों को अच्छी तरह से साफ-सुथरा कर धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे कि दानों में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न रहने पाए। अनाज में ज्यादा नमी रहने से फफूंद एवं कीटों का आक्रमण अधिक होता है। अनाज को सुखाने के बाद दांत से तोड़ने पर कट की आवाज करें तो समझना चाहिए कि अनाज भण्डारण के लायक सूख गया है। इसके बाद अनाज छाया में रखने के बाद ठंडा हो जाने के बाद ही भण्डार गृह  में रखना चाहिए।
अनाज से भरे बोरे को भण्डार गृह में रखने के लिए फर्श से 20 से 25 सेमी की ऊंचाई पर बांस या लकड़ी के तख्ते का मंच तैयार करना चाहिए, जो दीवार से कम-से-कम 75 सेमी की दूरी पर हो। बोरियों के छल्लियों के बीच भी 75 सेमी खाली स्थान रखना फायदेमंद होता है। गोदाम में पक्षियों एवं चूहों के आने-जाने के रास्ते को बंद कर देना चाहिए।
 
कुछ पारंपरिक अन्न भंडारण के तरीके जैसे  दलहन मे कड़वा(सरसों) तेल 5 मिली प्रति किग्रा.की दर मिला कर रखना ,गेहूँ मे  नीम, लहसुन व करंज के पत्ते कोठी में बिछाना, सूखे हुए लहसुन के डंठल रखना आदि है। 
 
भण्डारण में पुराना आनाज एवं भूसा इत्यादि को निकाल कर एक महीने पहले सफाई कर चूहों द्वारा किए गए छेद एवं अन्य टूट-फूट की मरम्मत कर नीम की पत्ती का प्रधुमन करके अच्छी तरह से भण्डारण को बंद कर दें, जिसमें छुपे हुए भण्डारण कीट नष्ट हो जाए एवं  बोरी को खौलती नीम की पत्ती वाले पानी में शोधित कर अच्छी तरह सुखा ले।
 
अन्न का भंडारण करते समय हवा के रुख को अवश्य ध्यान रखे अगर पुरवा हवा चल रही हो, तब अन्न का भंडारण न करें, पछुआ हवा के समय भण्डारण करना  उचित होता है। अनाज भंडारण में नीम की पत्ती का प्रयोग करते समय नीम पत्ती सूखी होनी चाहिए। इसके लिए नीम पत्ती को भण्डारण से 15 दिन पहले किसी छायादार स्थान पर कागज पर रख कर सुखा ले उसके बाद अन्न की बोरी या बखार  में 2 किग्रा पत्ती  प्रति कुन्टल अनाज  की दर से  रखे।
 
भण्डारण के लिए वैसे भण्डार गृह का चयन करना चाहिए, जहां सीलन (नमी) न हो एवं चूहों से अन्न का बचाव किया जा सके। भण्डार-गृह हवादार हो एवं जरूरत पड़ने पर वायुरूद्ध भी किया जा सके। भण्डार से पूर्व पक्का भण्डार गृह एवं धातु की कोठियों को साफ-सुथरा कर लेना चाहिए । बोरियों में अनाज भर कर रखने के पहले इन बोरियों को 20-25 मिनट तक खौलते पानी में डाल देना चाहिए। इसके बाद धूप में अच्छी तरह सूखा देना चाहिए ।नीम  से बनी नीमफास  दवा  का प्रयोग अनाज भण्डारण  में कर सकते है। भुल कर भी कीटनाशकों का प्रयोग न करे। यह स्वास्थ्य के लिए काफी हानि कारक है। 
Facebook Comments