कद्दू वर्गीय सब्जियों को लाल भृंग से बचाएं- रजनीश श्रीवास्तव
भाटपाररानी -कद्दू वर्गीय सब्जियां जैसे लौकी, कद्दू, तुरई और, करेला, टिण्डा, खीरा, ककडी, तरबूज, खरबूजा आदि जायद तथा खरीफ मौसम की महत्वपूर्ण सब्जिया हैं । यद्यपि कद्दू वर्गीय सब्जियों का उत्पादन अच्छा होता है, परन्तु अधिक नमी तथा उचित तापमान मिलने के कारण बहुत से कीट एवं रोग कद्दू वर्गीय सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित करते हैं जिसमें कद्दू का लाल भृंग प्रमुख कीट है ।
कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान विशेषज्ञ एवं प्रभारी रजनीश श्रीवास्तव ने इस लाल भृंग के बारे में बताया कि इस कीट के वयस्क व ग्रब्स ( लार्वा ) दोनों ही नुकसान पहुंचाते है। कद्दू का लाल भृंग ( बीटल ) कीट तेज चमकीला नारंगी रंग का तथा आकार में लगभग 7 मिलि मीटर लम्बा व 4 . 5 मिली मीटर चौड़ा होता है। मादा कीट पौधों की जड़ो के पास मिट्टी में एक इंच नीचे अंडे देती है जो एक एक या 9-10 के समूह में हो सकते है। अंडे से 5-7 दिनों में निकले हुये ग्रब पौधों की भूमिगत भागों ‘जड़ों’ एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते हैं उनको खा जाते हैं। प्रभावित पौधे के खाये हुए जड़ों एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी कवक का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्व फल व लताएँ सूख जाती है। भृंग (बीटल) पत्तियों को खाकर उनमें छेद कर देते है। पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुँचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते हैं। कभी-कभी प्रबंधन के अभाव में यह कीट पूरी फसल को नष्ट कर देते हैं|
नियंत्रण- समय पर फसल की बुवाई करनी चाहिए ।पुरानी फसल के अवशेष को नष्ट कर दें। फसल की कटाई उपरान्त खेत की गहरी जुताई करें। खेत को खरपतवार व फसल अवशेषों से मुक्त रखना चाहिए। कीट प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई करें । फसल की प्रारंभिक अवस्था में, कीट दिखाई दे तो उसे हाथ से पकड़कर नष्ट कर दें।
प्रारम्भिक आक्रमण की दशा में नीम की खली, नीम के बीजो का पाउडर या नीम का तेल का छिडकाव करें । बीज के जमाव के तुरंत बाद मिट्टी में 1-2 इंच नीचे पौधों की जड़ो के पास 3 किग्रा फिप्रोनिल या कार्बोफुरान 3 जी प्रति एकड़ की दर से मिलाकर सिंचाई कर देना चाहिए । कीट का अत्यधिक आक्रमण होने पर साईपरमेथ्रिन 25% ईसी 150 मि.ली.प्रति एकड़ या डायमिथोएट 30% ईसी 300 मि.ली. या कार्बारिल 50% डब्लू पी 450 ग्राम या डाइक्लोरवास (डीडीवीपी) 76% ईसी का 250-350 मिली प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करने से इस कीट का नियंत्रण किया जा सकता है |
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