इश्क
प्रेमियों का हश्र हज़ारों
छुपा राज बतलाता है
जिस्म का रिश्ता हुआ शुरू
कि प्यार खतम हो जाता है ।
राधा – कृष्ण,श्याम – मीरा का
पाक रिश्ता समझाता है
इश्क जो तन से ना हो
सदा सफल हो जाता है ।
निर्मल रिश्ता जिसने रखा
चाहा जो वो पाया है
नेह लगा हो सबरी जैसा
तो प्रेमी राम मिल जाता है ।
लैला- मजनू ,हीर- रांझा
पुरखों का संदेशा है
रिश्ता रूह का हो दोनों को
तो इश्क अमर हो जाता है ।
प्रेमियों का हश्र हज़ारों
छुपा राज बतलाता है
जिस्म का रिश्ता हुआ शुरू
कि प्यार खतम हो जाता है ।
( कवि पुष्प रंजन कुमार )
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