बेटियां
गुनहगारों को अब बचाया जा रहा है
बेटियों को न्याय दिलाया जा रहा है
लूटकर अस्मत जान भी छीन ली है
दोनों का बस दाम लगाया जा रहा है।
लूटी अस्मत घर की रौनक चली गई
राजनीति का शतरंज बिछाया जा रहा है
बेटियों कि भी जात होती है साहिब
फर्क ये भी रोज दिखाया जा रहा है।
मौत का इल्ज़ाम उसी के बाप पर है
डिबेट पर ये ही सुनाया जा रहा है
बहसीयों को बचाने के लिए अब
पंचायतों को भी बुलाया जा रहा है।
सिसकती बेटी को अंधेरे में जलाकर
रिपोर्ट में बस चोट दिखाया जा रहा है
बेटियां किस कदर महफूज है अब
हर तरफ बेटी जलाया जा रहा है।
बस बहुजन ही है ख़तरे में अभी तक
जुल्म क्यूं इन पर ही ढ़हाया जा रहा है
सच को झूठ -झूठ को सच बताकर
राज गहरा “सागर” छुपाया जा रहा है।
बेख़ौफ़ शायर ( नरेश सागर हापुड़ )
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