मेरी याद
आये मेरी याद तुझको प्रिय तब सोचना
आँख मेरी भरने लगी हो तब सोचना।
हसरतों के पंख लगा के उड़ने लगी हूँ
ख़ुदी से में बातें हरपल करने लगी हूँ
जब दिल मचल मचलने लगे क्यों तब सोचना
आये मेरी याद तुझको प्रिय तब सोचना।
साथ में ख़ुदा के तेरा नाम ले रही हूँ
तुझको मोहब्बत का पैगाम दे रही हूँ
साँसों में तुझको बसा लूँ मैं तब सोचना
आये मेरी याद तुझको प्रिय तब सोचना।
बनके मैं साया तेरा साथ चल पड़ी हूँ
मुश्किल घड़ी में तेरे मैं आगे खड़ी हूँ
काँटा भी चुभने नहीं दूंँगी तब सोचना
आये मेरी याद तुझको प्रिय तब सोचना।
(यशपाल सिंह चौहान बी एस एफ ,नई दिल्ली)
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