तिल की जैविक और उन्नत वैज्ञानिक फसल विधि
किस्म की खासियत- फाइटोफ़थोरा ब्लाइट के लिये प्रतिरोधी और पाउडरी मिल्ड्यू, सरकोस्पोरा तथा अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट से आंशिक प्रतिरोधी किस्म,
तेल % 49-52)
बुवाई की विधि- सीड ड्रिल से बोई तिल की जैविक फसल
बीज दर- 2 किलो प्रति एकड़
स्थान चयन– दो विपरीत दिशा के रकबे जिनमे एक ढलान वाली ऊंची जमीन और एक सड़क के पास मध्यम ऊंची जमीन
कुल रकबा- 1.5 एकड़+ 1 एकड़= 2.5 एकड़ (1हेक्टेयर)
बुवाई तिथि – 1 जुलाई 2020
खरपतवार नियंत्रण– सीजन में 15 दिन की अवधि में पहली बार कल्टीवेटर और दूसरी बार रोटावेटर बाद 10 दिन बाद 1 और रोटावेटर चला के सीड ड्रिल से बुवाई। 2 बार अलग अलग जुताई होने से बीएज से पौध बनने और वापस जमीन में सड़ने के कारण खरपतवारों के पौधे किसी तरह का प्रभाव नही।
पोषण-
सिर्फ 10 किलो प्रति एकड़ इफको सागरिका- (समुद्री घास का अर्क दानेदार अवस्था मे) मिलाकर बुवाई बाकी 2 बार जीवामृत, 1 बार मेट्रैजियम एनिसोपली (जैविक कीटनाशी फफूँद) +बवेरिया (जैविक कीटनाशी फफूँद) + इफको कन्सोर्टिया बैक्टेरिया (अघुलनशील पोषक को घुलनशील अवस्था मे पौधे तक लाने के लिये)स्प्रे, 1 बार ट्राइकोडर्मा हरजियेनम (जैविक फफूंदनाशी) +स्यूडोमोनास फ्लूरेसेन्स (जैविक जीवाणुनाशी) +मछली टॉनिक स्प्रे (पोषक)।
कटाई की तिथि– 25 सितम्बर 2020
कुल फसल अवधि – 87 दिन
उपज अनुमान– जैविक 2.5 कुन्तल प्रति एकड़ फाउंडेशन बीज का पूर्व में रहा था, जो अब करीब 1 .75 एकड़ अलग अलग जगह पर गल चुकी फसल बाद कुल 1 कुन्तल के आसपास आने की उम्मीद बची है। स्वस्थ बीज क्वालिटी अब नही रह सकी है।
औसत 1 फली में आये 125 दानों में 28 दाने ( 22.4 %) खराब हो चुके हैं फील्ड कन्डीशन में और ये लगातार बारिश सँग बढ़ती ह्यूमिडिटी वाला मौसम इस % को फसल कटने के बाद और बढ़ा देगा।
विशेष –
फलन बाद लगातार बढ़ती चली गई बरसात ने भी इस फसल को काफी नुकसान पहुँचाया, कुछ हमारे अनाड़ीपन ने। इसे करीब 15 दिन पहले काट सकते थे, पहली बार तिल लगाई थी इस वजह से फसल काटने की सही स्थिति का अंदाजा नही रह सका।
सीखने योग्य विशेष अध्याय और भविष्य की तिल उत्पादन सम्बन्धित
प्लानिंग-
आगामी वर्ष में जायद में तिल की खेती करने का सम्भावित प्रोग्राम रहे और बरसात के मौसम में ऊंचे खेत मे ही, उठे बेड पर फिर से इन्ही और समृद्ध होती जैविक परिस्थितियों में तिल लगाने की कोशिश करते जायें और हरी अवस्था मे ही काटकर रखे गए पौधे को सुखाकर अच्छी क्वालिटी का उत्पाद प्राप्त करें।
( डॉ शुभम कुलश्रेष्ठ , अस्सिटेंट प्रो. रवीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी , रायसेन )
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