Thursday 25th of April 2024 05:32:50 AM

Breaking News
  • हेमंत सोरेन ने खटखटाया सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा , ED की कार्यवाही और गिरफ़्तारी को दी चुनौती |
  • प्रियंका गाँधी ने बीजेपी पर लगाया असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 26 Sep 5:34 PM |   729 views

धान मे बाली निकलते समय कण्डुआ रोग से बचने पर दे ध्यानःप्रो.रविप्रकाश

बलिया – आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष, प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने धान की खेती करने वाले किसानों को अभी से कण्डुआ रोग से सावधान रहने की सलाह दी।

उन्होंने बताया कि  पौधे से बाली निकलने के समय धान पर कंडुआ रोग का असर बढने लगता  है।  इस रोग के कारण धान के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना बनी रहती  है। धान की बालियों पर होने वाले रोग को आम बोलचाल की भाषा में लेढा रोग , बाली का पीला रोग से किसान जानते है। वैसे अंग्रेजी में इस रोग को फाल्स स्मट और हिन्दी में मिथ्या कंडुआ रोग के नाम से जाना जाता है। 

यह रोग अक्तूबर माह के मध्य से नवंबर तक धान की अधिक उपज देने वाली प्रजातियों  में आता है। परन्तु मौसम मे बदलाव के कारण पूर्वाच्चल  के कई जनपदों मे अभी से यह रोग बालियों मे देखा जा रहा है।   जब वातावरण में काफी नमी होती है, तब इस रोग का प्रकोप अधिक होता है। धान की बालियों के निकलने पर इस रोग का लक्षण दिखाईं देने लगता है।रोग ग्रसित धान का चावल खाने पर स्वास्थ्य पर असर  पड़ता है  प्रभावित दानों के अंदर रोगजनक फफूंद अंडाशय को एक बडे़ कटुरुप में बदल देता है। बाद में जैतुनी हरे रंग के हो जाते है। इस रोग के प्रकोप से दाने कम बनते है और उपज में दस से पच्चीस प्रतिशत की कमी आ जाती है।  मिथ्या कंडुआ रोग से बचने हेतु नियमित खेत की निगरानी करते रहे। यूरिया की मात्रा आवश्यकता से अधिक न डाले।

इसके बाद भी  खेत मे रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त कार्बेन्डाजिम 50डब्लू. पी. 200 ग्राम अथवा प्रोपिकोनाजोल-25 डब्ल्यू़ पी़ 200 ग्राम को  200 लीटर   पानी मे घोल कर  प्रति एकड़ की दर से छिड़काव  करने से रोग से मुक्ति मिलेगी। बहुत ज्यादा रोग फैल गया हो तो   रसायन का छिड़काव न करें।  कोई फायदा नही होगा। रोग ग्रस्त  बीज को अगली बार  प्रयोग न करे।

Facebook Comments