प्रवासियों ने सीखे जैविक खेती के ढंग
भाटपाररानी – कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्रवासियों को दिए जा रहे हैं प्रशिक्षण के क्रम में १२वा तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 17 से 19 सितंबर तक जैविक खेती एवं वर्मी कंपोस्ट उत्पादन पर आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के समापन में मुख्य अतिथि डॉ हरीश कुमार प्राचार्य राजकीय महिला डिग्री कॉलेज मझौली राज ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया तथा उन्होंने कहा कि जैविक खेती कोई नया विषय नहीं है बल्कि हमारे पूर्वज इसे पहले से करते आ रहे हैं। जैविक खेती का मूल आधार पशुपालन है । इसके लिए आपको खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करना चाहिए। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपको जैविक खाद बनाने के विभिन्न तरीकों को बताया गया जिसका लाभ उठाकर आप अपने घर की आवश्यकता के खाद्य पदार्थों को जैविक रूप से जरूर उगाना शुरू करें।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी रजनीश श्रीवास्तव ने आज के समय में जैविक खेती की उपयोगिता के उसके महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा की उन्होंने बताया जैविक खेती प्राकृतिक खेती आजकल एक और शब्द प्रचलन में है जिसे जीरो बजट फार्मिंग भी कहां जा रहे हैं द्वारा गुणवत्ता युक्त फसल उगा कर बाजार से अच्छा मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर आर पी साहू ने जैविक खेती के विभिन्न आयामों जैसे हरी खाद बीज अमृत, जीवामृत, मटका खाद, डी कंपोजर का उपयोग आदि के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की।
अजय तिवारी ने वर्मी कंपोस्ट उत्पादन को सजीव रूप में दिखाया तथा कार्यक्रम का संचालन भी किया इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में रजनीकांत ध्रुव नारायण वशिष्ठ, राहुल कुमार, विनोद, पप्पू कुमार, मोनू कुमार, सहित 35 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।