Saturday 20th of April 2024 07:39:30 PM

Breaking News
  • एलन मस्क की भारत यात्रा स्थगित होने पर कांग्रेस ने कहा , उन्होंने दीवार पर लिखी इबारत पढ़ी | 
  • कांग्रेस ने दिल्ली नगर निगम महापौर चुनाव में AAP के उम्मीदवारो का समर्थन करने की घोषणा की | 
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 9 Jul 3:51 PM |   437 views

मोटे अनाज फसलों की खेती करे किसान भाई – प्रो. रवि प्रकाश

बलिया / सोहाव – लघु या छोटे धान्य फसलों  जैसे -मंडुआ, सावाँ,कोदों, चीना,काकुन आदि को मोटा अनाज कहा जाता है। इन सभी फसलों के दानों का आकार बहुत छोटा होता है। लघु अनाज  पोषक तत्वों तथा रेशा से  परिपूर्ण होने के कारण इसका  औषधीय उपयोग भी है। जिससे लोग इसका रोटी  व चावल के रूप मे उपयोग करते है। मधुमेह ,रक्त चाप आदि के लिए काफी लाभदायक है तथा पशुओं को चारा भी मिल जाता है। जहाँ पर मुख्य अन्य फसलें नही उगायी जा सकती वहाँ पर ये फसलें सुगमता पूर्वक उगा ली जाती है।
 
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने  बताया कि  ये फसलें सूखे ए्वं आकाल को आसानी से सहन कर लेती है, तथा  70-115 दिन मे तैयार हो जाती है।तथा फसलों पर कीट एवं बीमारियों का प्रकोप कम होता है। खेत की तैयारी हेतु एक गहरी जुताई तथा 2-3 हैरो से जुताई करे। मंडुआ की उन्नति  शीध्र पकने वाली प्रजाति (90-95दिन) वी.आर.708, वी.एल.352,जी.पी.यू.45 है ,जिसकी उपज क्षमता प्रति बीघा ( 2000वर्ग मीटर / 20 कट्ठा) 4-5 कुन्टल है। मध्यम व देर से पकने वाली प्रजाति (100-115 दिन) जी.पी.यू.28,67,85,,आर. ए.यू.8 है। जिसकी उपज क्षमता 5-6 कुन्टल प्रति बीघा है।
 
  साँवा की प्रजाति वी.एल. 172 (80-85 दिन) वी.एल. 207, आर.ए.यू.3 ,9(85 -90 दिन) ,कोदों  की प्रजाति ,जे.के.65,76,13,41,155,439,(अवधि 85-90  दिन ) जी.पी.यू.के.पाली,डिडरी (अवधि100-115 दिन है ।चीना की प्रजाति कम अवधि (60-70दिन) एम.एस.4872,4884, तथा बी.आर.7,  मध्यम व देर से पकने वाली प्रजाति (70-75दिन अवधि) जी.पी.यू.पी.21, टी.एन.ए.यू.151,145 है। काकुन की उन्नत किस्मे ,आर.ए.यू.2, को.4 ,अर्जुन (75-80.दिन अवधि)  एवं स.आइ.ए.326,3085,बीजी.1 मध्यम एवं देर से (80-85 दिन ) पकने वाली है।  बीज दर प्रति बीघा मडुआ 2.5 -3.0 किग्रा. साँवा, कोदो.चीना, काकुन का 2.0 से 2.5  किग्रा. की आवश्यकता होती है।
 
सभी फसलों की बुआई जून से जुलाई तक की जाती है। बुआई की दूरी ,मडुआ लाईन से लाईन 20-25 सेमी. पौध से पौध  10 सेमी. रखनी चाहिए।  सावा ,कोदो. चीना एवं काकुन के लिये 25-30 सेमी. लाईन से लाईन तथा पौध से पौध की दूरी 10 से.मी. रखें। , सभी फसलो की बुआई की गहराई 2 सेमी से ज्यादा नही होनी  चाहिए। सभी फसलों मे मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरक का प्रयोग करे। बुआई से पहले 17 किग्रा यूरिया, 62 किग्रा सिगल सुपर  फास्फेट, ए्वं 10 किग्रा म्यूरेट आफ पोटाश  का प्रयोग करे।25-30 दिन की पौध होने पर निराई के बाद 17 किग्रा यूरिया डाले। उपज क्षमता  साँवा, कोदो, चीना ए्वं काकुन की शीध्र पकने वाली प्रजातियों की  3-4 कुन्टल  तथा मध्यम एवं देर से पकने वाली प्रजातियों की उपज 3.50 से 4.50 कुन्टल  प्रति बीघा  है। अन्तवर्ती खेती अरहर, ज्वार , मक्का के साथ आसानी से किया जा सकता है।
Facebook Comments