रोपाई से पहले धान की नर्सरी का रखें ध्यान -प्रो. रवि प्रकाश
बलिया / सोहाव – खरीफ फसलों में धान की प्रमुख रूप से खेती की जाती है ।किसान भाइयों को धान की फसल से बहुत उमीद रहती है। इस लिए धान की नर्सरी तैयार करने में काफी सावधानी रखनी चाहिए ।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने धान की खेती करने वाले किसान भाइयों को सलाह दिया है कि स्वस्थ्य एवं रोग /कीट मुक्त नर्सरी ही अधिक व गुणवत्ता पूर्ण धान के उत्पादन का आधार होता है ।नर्सरी में लौह तत्व की कमी के कारण सफेदा रोग अधिक लगता है।
इस रोग मे नई पत्तियां कागज के समान सफेद रंग की निकलती है। इसकी रोकथाम हेतु आधा किग्रा. फेरस सल्फेट , एवं 2 किग्रा यूरिया को 100 लीटर पानी मे घोल बनाकर 8 कट्ठा (1000 वर्ग मीटर) मे छिड़काव करें। जिंक की कमी के कारण खैरा रोग लगता है. इस रोग मे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं जिसपर बाद में कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं।इसकी रोकथाम हेतु आधा किलोग्राम जिंक सल्फेट व 2 किलोग्राम यूरिया को 100 लीटर पानी में घोलकर 1000 वर्ग मीटर में छिड़काव करना चाहिए।
नर्सरी में कभी -कभी झुलसा रोग लग जाता है ,जिसके कारण पत्तियां नोक अथवा किनारे से एक दम सूखने लगती है । ए्वं टेढ़े मेढ़े हो जाते है। तथा जीवाणु धारी झुलसा मे पत्तियों पर नसो के बीच कत्थई रंग की लम्बी लम्बी धारियां बन जाती है।दोनो रोगों के नियंत्रण हेतु 1.5ग्राम स्ट्रेपटोमाइसीन सल्फेट 90प्रतिशत +ट्रेटासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत को 50 ग्राम कापर आक्सी क्लोराईड 50प्रतिशत डब्ल्यू. पी. के साथ 50-75 लीटर पानी मे घोलकर 1000 वर्ग मीटर मे छिड़काव करे। झुलसा बीमारी लगने पर यूरिया का छिड़काव कतई न करे नही ती बीमारी तेजी से बढ जायेगी। नर्सरी मे कीट/ रोगो का प्रब़ंधन कर लेते है तो रोपाई के बाद इनकी समस्या कम होगी। तथा कीट / रोग प्रबंन्धन मे ज्यादा धन खर्च नही होगा।
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