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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 18 May 2020 3:49 PM |   277 views

कृषि अपशिष्ट जलाते हुए पाए जाने पर अर्थदंड लगेगा – जिलाधिकारी

देवरिया –    जिलाधिकारी अमित किशोर ने जनपद के कृषको को अवगत कराया है कि फसल अवशेष में कार्बनिक पदार्थ व पोषक तत्व मौजूद होते हैं।   इनसे कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर खेत की उर्वरता में वृद्धि की जा सकती है, लेकिन फसल कटाई में कंबाइन मशीन का प्रयोग किए जाने से फसलों के अवशेष खेतों में ही पड़े रहते हैं श्रमिकों द्वारा की गई कटाई में भी काफी अवशेष खेत में ही छोड़ दिया जा रहा है जिसे किसान जलाकर नष्ट कर देते हैं।  उनके द्वारा जलाए गए फसल अवशेष से उपलब्ध कार्बनिक पदार्थ व पोषक तत्व नष्ट हो जा रहे हैं, यही नहीं फसलों के अवशेष में मौजूद लाभदायक मित्र कीट भी जलकर मर जाते हैं।  इसकी वजह से वातावरण में मित्र व शत्रु कीट का संतुलन प्रभावित हो रहा है।  वायु प्रदूषित हो रही है, जिससे तमाम तरह की नई-नई बीमारियां पनप रही है।  
 
फसल अवशेषों को जलाकर नष्ट करने से खेती पर पड़े विपरीत  प्रभाव अवशेष प्रबंधन से क्या-क्या फायदे हैं इसके दृष्टिगत जिलाधिकारी ने बताया है कि फसल अवशेष से बायोकोल, बायो सी0एन0जी0तथा बायोएथेनॉल का व्यवसायिक उत्पादन किया जा सकता है।  इससे संबंधित औद्योगिक इकाई की स्थापना हेतु राज्य जैव ऊर्जा बोर्ड से सहायता भी प्राप्त की जा सकती है। एकीकृत  पोषक तत्व प्रबंधन के घटक के रूप में फसल अवशेष में भी अहम योगदान प्रदान करता है फलस्वरुप मृदा में कार्बनिक पदार्थ की बढ़ोतरी से भूमि में लाभदायक जीवाणु की संख्या एवं क्रियाशीलता में बढ़ोतरी होती है। दलहनी फसलों के फसल अवशेष भूमि में नत्रजन एवं पोषक तत्व की मात्रा को बढ़ाने में सहायक होते हैं।  फसल अवशेष कंपोस्ट खाद बनाने में सहायक होते हैं, जो कि मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक क्रियाओं में लाभकारी है।  मृदा की जल धारण क्षमता एवं वायु संचार में बढ़ोतरी होती है।
 
फसल अवशेष के कार्य के लिए रोटावेटर का प्रयोग किया जाता है जो फसल अवशेषों को बारीक  टुकड़ों में काटकर मिट्टी में मिला देता है जो बाद में सडकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करता है। फसल अवशेषों से कंपोस्ट खाद तैयार करने खेत में प्रयोग करना चाहिए। जिन क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारे की कमी नहीं होती है वहां मक्का, धान एवं अन्य फसलों के अवशेष खेत/खलियान में ढेर बनाकर खुला छोड़ने के बजाय गड्ढों में कंपोस्ट बनाकर उपयोग करें। जहां पर फसलों की कटाई, मढाई के उपरांत जड़, तना पत्तियों के रूप में पादप अवशेष भूमि के अंदर एवं उपर उपलब्ध होते हैं इनको लगभग 20 कि0यूरिया/एकड़ की दर से डालकर मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई/पलेवा कर देने से लगभग एक माह के अंदर फसल अवशेष जमीन में सड़ जाते हैं, जिससे मृदा में कार्बनिक पदार्थ एवं अन्य तत्वों की बढ़ोतरी होती है। 
 
अवशेषों को जलाने से उनके पत्तियों तन्ना एवं जड़ में मौजूद या संचित लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।    फसलों के अवशेष में लाभदायक मित्र कीट भी जलकर मर जाते हैं जिसके कारण वातावरण में मित्र एवं शत्रु कीटों का संतुलन प्रभावित होता है।  अवशेष जलाने से वायु प्रदूषित होती है जिससे कारण अनेक बीमारियां एवं धुंध के कारण दुर्घटनाए होती है।  
 
 उन्होंने कहा है कि यदि कोई कृषक कृषि अपशिष्ट जलाता हुआ पाया जाएगा तो दोषी कृषको से 2500  रुपए प्रति घटना अर्थदंड वसूला जाएगा जिसमें से दो से 5 एकड़ तक 5000  रुपए एवं पांच से अधिक पर 15000  रुपए का अर्थदंड किसानों को देना होगा।
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