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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 14 Apr 2020 1:00 PM |   685 views

भारत रत्न ” डॉ भीमराव अम्बेडकर”

डॉ भीम राव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू गाँव  के एक महार परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम राम जी शकपाल और माता का नाम भीमा बाई था |अपने माता – पिता के 14 संतानों में अम्बेडकर सबसे छोटे थे |जब अम्बेडकर महज तीन साल के थे तब इनकी माँ की मृत्यु हो गयी | जिसके बाद उनके पिता उनकी शिक्षा पर ध्यान देने लगे | 15 वर्ष की उम्र में 9 वर्षीय रमा बाई से इनका विवाह हो गया |

डॉ भीमराव अम्बेडकर ज्योतिबा फुले से बेहद प्रभावित थे और छुआछूत को जुल्म मानते थे |एक बार उनको उनके भाईयों समेत बैल गाडी से नीचे धकेल दिया गया क्यूंकि वे नीची जाति के थे | बाबा साहब ने कहा ” वर्गहीन समाज पढने से पहले जाति विहीन करना होगा | समाजवाद के बिना दलित मेहनती इंसानों की आर्थिक मुक्ति संभव नही “|

डॉ भीम राव आंबेडकर विलक्षण प्रतिभा( विद्द्वान , दार्शनिक , चिन्तक , समाज सेवी , राजनीतिक ,संपादक ) के धनी  व्यक्ति थे |चूँकि इनका जन्म एक अछूत परिवार हुआ था इसलिए उन्हें जीवन के हर पग पर कठिनाईयों का सामना करना पड़ा  | उसका सहज अनुभव इन शब्दों से कर सकतें हैं ,बाबा साहब ने कहा कि — 

“बाल गंगा धर तिलक यदि दलित परिवार में जन्म लिए होते तो कहते कि छुआछूत का उन्नमूलन हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है ”

तत्कालीन भारतीय समाज में प्रतिष्ठित कुरीतियों को समाप्त करने तथा दलितों को सामाजिक सम्मान दिलाने ,उनको आर्थिक रूप से आत्म निर्भर करने का प्रयास करते रहे |बाबा साहब ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया तब पंडित राहुल सांकृत्यान ने कहा कि बौद्ध क्रांति की स्थापना हो गयी |

एक प्रखर प्रतिभाशाली विद्यार्थी के रूप में इनकी एक विशेष प्रकार छवि थी |कोलम्बिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान , समाज शास्त्र , मानव विज्ञान ,दर्शन और अर्थ शास्त्र का गहन अध्ययन किया |बाबा साहब भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने विदेश से अर्थ शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी |भारत में R. B.I. उन्ही के विचारों पर आधारित है |उनका मानना था कि औधोगिकरण और कृषि विकास से भारतीय अर्थ व्यवस्था में वृद्धि हो सकती है |

बाबा साहब को भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है |संविधान सभा द्वारा प्रारूप समिति का अध्यक्ष होने के नाते विश्व का अनुपम संविधान भारत का संविधान हो बनाने का भरपूर कोशिश किया |लगभग सात देशों के संविधान का गहन अध्ययन करने के उपरान्त भारत के संविधान का प्रारूप निरुपित किया |बाबा साहब ने अपने अकाट्य तर्कों के आधार पर sc, st, obc के लिए नागरिक सेवाओ में , स्कूलों में . कालेजों में , नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की |

बाबा साहब ने कहा था कि ” छुआछूत गुलामी से भी बदतर है “छुआछूत को समाज से मिटाने और दलितों को सम्मान दिलाने के लिए संगठन बनाया बहिष्कृत हित कारिणी सभा ,समता , सैनिक दल और एक आन्दोलन खड़ा किया |    

उनका  मानना था कि आन्दोलन के लिए अखबार का होना अति आवश्यक है  बाबा साहब ने कहा कि अखबार के बिना आन्दोलन पंख विहीन पंछी की तरह है |

इसलिए समय -समय पर मराठी भाषा में पांच अखबारों को प्रकाशित किये |यथा – मूकनायक , बहिष्कृत भारत , समता ,प्रबुद्ध भारत और जनता |छुआछूत संघर्ष का बिगुल बजा दिया बाबा साहब ने महाड़ सत्याग्रह , कालाराम सत्याग्रह , मनु स्मृति दहन जैसे कार्य करके क्रांति को आगे बढ़ाया |

25दिसम्बर 1927 को हजारो अनुयाईयों के नेतृत्व में मनु स्मृति की प्रतिया जलाई |उनका मानना था कि यह हिन्दू शास्त्र जाति- पाति, छुआछूतकी जननी है |दलितों की सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत के निर्माण में बाबा साहब का महत्वपूर्ण योगदान है |इसलिए 1956 में बोधिसत्व बाबा साहब को 1990में भारत रत्न से सम्मानित किया गया |

            ( नरसिंह )

 

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