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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 25 Mar 3:16 PM |   980 views

चेरी टमाटर

चेरी टमाटर ग्रीन हाउस या शेड नेट के अलावा खुले मैदानों में भी उगाया जा सकता है हालाकि बेहद ज्यादा गर्मी बर्दाश्त नही कर सकता |ग्रीन हाउस से प्राप्त टमाटर उच्च कोटि के , अच्छी गुणवत्ता वाले होते है |

चेरी टमाटर सामान्य टमाटर के तुलना में छोटे आकार का होता है |यह लाल ,पीला ,नारंगी आदि सहित विभिन्न आकृतियों लेकिन छोटे आकर में पाए जाते हैं |इनका उपयोग मुख्य रूप से चटनी बनाने के लिए किया जाता है |ये छोटे टमाटर पूर्ण आकर वाले टमाटर की तुलना में मीठे होते हैं और पोषण संबंधी कई लाभ प्रदान करते है |

चेरी टमाटर के गुण –

कृषि वैज्ञानिक का दावा है कि यह विशेष किस्म खाने वालों के लिए भी काफी फायदेमंद है |चेरी टमाटर पाचन में और मस्तिष्क संबंधी रोगों को दूर करने में सहायक है |इसमें पाया जाने वाला एंटी ओक्सिडेंट दिल संबंधी रोगों को ठीक  करने  के अलावा शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है |चेरी टमाटर विटामिन ए , बी -6 ,के , पोटैशियम मैग्नीशियम मैगनीज , कॉपर , फास्फोरस एवं खाद्य रेशो का अच्छा श्रोत है |इसमें सुक्ष्तम मात्रा  में सोडियम ,वसा व कोलेस्ट्राल भी पाया जाता है |इसमें उपलब्ध एंटी ओक्सिडेंट के कारण शरीर में कैंसर रोग रोधी कोशिकाएं उत्पन्न होती हैं , जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ – साथ त्वचा को झुर्रियो से मुक्त बनाये रखने में विशेष योगदान प्रदान करती हैं |इन्ही मुख्य कारणों की वजह से हाई प्रोफाइल फाइव स्टार होटलों और मेट्रोपोलिटन शहरों में आने वाले विदेशी सैलानियों में इसकी विशेष मांग हमेशा ही बनी रहती है |जिस वजह से चेरी टमाटर सामान्य टमाटर की तुलना में अधिक दामों में बिकता है |ये एक विलायती सब्जी है , जो व्यंजनों में नया स्वाद एवं आकर्षण लाता है | 

उपयोग –  

चेरी टमाटर सलाद ,सब्जी , चटनी , केचप ,सौस , जूस और अन्य  जैसे सजावट गिफ्ट करने के लिए बेहद ही मुफीद कृषि उत्पादन है |

गमलो में भी उत्पादन –

चेरी टमाटर मुख्य भूमि के अलावा गमलो में रोपण के लिए उपयुक्त है |सही मौसम में यदि दो चेरी टमाटर के पौधों का रोपण अलग – अलग गमलो में कर दिया जाये तो एक परिवार के टमाटर की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है |

पौधों को स्टैकिंग की जरूरत – 

इन्डिटरमिनेट प्रजाति में स्टैकिंग ( सहारा ) अनिवार्य है |स्टैकिंग के लिए पौधों को सुतली से बाधने के बाद ,सुतली को बांस से बाँध दिया जाता है|स्टैकिंग से पौधों में फल वहन करने की क्षमता बढ़ जाती है |फल सतह को स्पर्श नही करते हैं , जिससे फल गलन एवं रोगों से मुक्त रहती है |वानस्पतिक वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए पौधों में समय – समय पर कटाई – छटाई करनी चाहिए |छंटाई करते समय 3 – 4 कमजोर टहनियों को सिकेटीयर की सहायता से काटकर अलग करना चाहिए |पौधों में उर्वरक की निर्धारित मात्र में टपक सिचाई पद्धति से देना चाहिए |

उपज और बाज़ार भाव –

समान्यत:उपज मिट्टी ,अपनाये जा रहे पोषण और अन्य उत्पादन तकनीकों संग ही किस्म पर भी निर्भर है |हाईब्रिड चेरी टमाटर की औसत उपज 3.5 किलो प्रति पौधा तक आती है ,जिसे 80 रूपये से लेकर 250 तक उपलब्ध बाज़ार के आधार पर बेचा जाता है |वहीं देसी चेरी टमाटर की औसत उपज 1 . 5 – 1 . 7 किलो करीब आती है जिसे 50 से 100 रु ० किलो तक बेचा जा सकता है | 

ब्रोकोली और बटन मशरूम की ही तरह इसे सामान्य जन की थाली में आने में देर लग सकती है |बेहतर हो कि जैविक उत्पादन लेकर इन्हें एक स्वस्थ उत्पाद रूप में अपने जीवन में शामिल किया जाए |

( डॉ शुभम कुलश्रेष्ठ, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर ,रवीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी , रायसेन मध्य प्रदेश  )   

 

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