गर्मी मे भिण्डी की खेती ज्यादा लाभकारी
भिण्डी की खेती गर्मी एवं खरीफ दोनों मौसम में की जाती है, लेकिन सिंचाई सुविधा होने पर गर्मी में खेती करना ज्यादा लाभकारी होगा । भिण्डी के हरे ,मुलायम फलों का प्रयोग सब्जी, सूप फ्राई तथा अन्य रुप मे किया जाता है,जो कैन्सर, डायबिटीज, अनीमिया, पाँचन तंत्र के लिये लाभदायक है। पौधे का तना व जड़ , गुड़ एवं खाँड़ बनाते समय रस साफ करने मे प्रयोग किया जाता है। आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्व विधालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रो.रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि भिण्डी ग्रीष्म और वर्षा दोनों मौसम में उगाई जाती है।
इसके लिए पर्याप्त जीवांश एवं उचित जल निकास युक्त दोमट भूमि उपयुक्त रहती है। खेत की तैयारी के समय 3 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद प्रति कट्ठा एक है.का 80वाँ भाग अर्थात 125 वर्ग मीटर के हिसाब से बुआई के 15-20 दिन पहले खेत में मिला देनाचाहिए।मृदा जांच के उपरांत ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए यूरिया 1.10 कि.ग्रा., सिंगल सुपर फॉस्फेट 3.00 कि.ग्रा. तथा म्यूरेटआफ पोटाश 800 ग्राम मात्रा बुवाई के पूर्व खेत में मिला देना चाहिए। तथा आधा-आधा किग्रा. यूरिया दो बार बुआई के 30-40 दिन के अन्तराल पर सिंचाई के बाद देना लाभदायक है। ग्रीष्म मे फरवरी से मार्च तक तथा खरीफ के लिये जून से 15 जुलाई तक बुवाई की जाती है। बुवाई से पहले बीजों को पानी मे 12 घंटे भिगोकर बोना ज्यादा लाभप्रद है।
गर्मी मे 250 ग्राम तथा बर्षात मे 150 ग्राम बीज प्रति विश्वा/ कट्ठा मे जरूरत पड़ती है। ।समतल क्यारियों में गर्मी मे कतारों की आपसी दूरी30 सें.मी. तथा पौधें की दूरी 15-20 सें.मी. और बर्षात मे 45-50 से.मी. कतार से कतार तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 से.मी. पर रखनी चाहिए। 2 सें.मी. की गहराई पर बुवाई करनी चाहिए।भिण्डी की किस्मों में काशी सातधारी,काशी क्रान्ति, काशी विभुति ,काशी प्रगति,अरका अनामिका , काशी लालिमा आदि प्रमुख हैं, जो सभी 40-45 दिन मे फल देने लगती है। खरीफ की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। परन्तु वर्षा न होने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। गर्मी मे सप्ताह मे एक बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। देर से सिचाई करने पर फल जल्दी सख्त हो जाते हैं एवं पौधे तथा फल के बढवार कम होती है |खर -पतवार को नष्ट करने के लिए गुडाई करें |कीट एवं बीमारियों का भी ध्यान रखे |उन्नत तकनीकी की खेती में समावेश करने पर प्रति कठ्ठा ( एक है० का 80 वा भाग ) 120 – 150 किलोग्राम तक उपज प्राप्त कर सकते है |