भारत के प्रथम राष्ट्रपति – डॉ राजेंद्र प्रसाद
बिहार की पावन धरती पर एक ऐसे महामानव का अविर्भाव हुआ जो अपनी कुशाग्र बुद्धि ,ज्ञान , चिंतन प्रतिभा ,सादगी और राजनीतिक सूझ- बूझ का ऐसा मिसाल था , जो सदैव भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा |जी हां हम बात कर रहे हैं डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में |जो स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे |
डॉ राजेंद्र प्रसाद जी का जन्म 3 दिसम्बर 1884 ई० को बिहार के सिवान जिला ग्राम- जीरादेई में हुआ था |इनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता कानाम कमलेश्वरी देवी था |इनके पिता संस्कृत और फारसी के विद्वान थे |राजेंद्र बाबू का विवाह 13 वर्ष की उम्र में राजवंशी देवी के साथ हुआ था |
इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई बाद में ये पटना और कलकत्ता यूनिवर्सिटी से आगे की सिक्षा प्राप्त किये |कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रथम प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त होने के कारण तीस रुपए प्रतिमाह छात्रवृति मिलती थी |यही से इन्होने अर्थशास्त्र और कानून की पढाई की तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून में पी . एच .डी . की डिग्री प्राप्त किया |
गोपाल कृष्ण गोखले तथा महात्मा गाँधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे डॉ राजेंद्र प्रसाद |उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था | राजेंद्र बाबू संविधान सभा और कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे थे |24 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में 12 वर्षो तक देश की सेवा किये |
राजेंद्र बाबू ने कई किताबें भी लिखी जैसे – इंडिया डिवाइडेड ,आत्मकथा एट फिट आफ , महात्मा गाँधी ,द यूनिटी आफ इंडिया |13 मई 1962 को सेवानिवृत होने के बाद अपने गृह प्रदेश बिहार की राजधानी पटना के सदाकत आश्रम में रहने लगे थे ,और पेंशन के रुपए 1100 से अपना जीवन यापन करते थे |सन 1962 में इनकी पत्नी की मृत्यु हुई |चीन से युद्ध के समय सहयोग के रूप में राजेंद्र बाबू ने अपनी पत्नी का सारा जेवर भारत सरकार को दे दिया था |28 फ़रवरी 1963 को सदाकत आश्रम में राजेंद्र बाबू ने अंतिम सांस ली |बाद में भारत का सर्वोच्य नागरिक सम्मान ” भारत रत्न ” से सम्मानित किया गया |