भोजपुरी भाषा
सृष्टि के विकास क्रम में कुछ विशेष प्रकार के उन्नत प्राणियों का उदभव हुआ |जीवित सन्ताओं में अपनी अनुभूतियों को एक दुसरे के साथ शेयर करने की स्वाभाविक प्रवृति का भी सृजन हुआ |क्योंकि जीवों में अपने भावो की अभिव्यक्ति एक नैसर्गिक गुण होता है |सामान्तया हम कह सकतें हैं कि प्राणियों में अपने अंतर्मन भावों की मौखिक अभिव्यक्ति ” भाषा ” है |इस प्रकार सभी जीव अपनी -अपनी भावों की अभिव्यक्ति अपनी भाषा में करतें हैं |समस्त जीवो की अपनी भाषा होती है |उदाहरणतया – चिड़ियों की चहचहाहट
ब्रह्माण्ड का श्रेष्ठतम जीव मनुष्य है और इसने शाब्दिक अभिव्यक्ति का ब्यवस्थित भाषा का रूप प्राप्त किया है |मनुष्य की जीवंत सम्पदा भाषा ही उसका प्राण धर्म है | इसलिए सभी मनुष्यों की भाषा एक है |क्योकि भाषा का जो मौखिक भाव है ,वह सभी भाषाओँ में सामान रूप से एक जैसा है |भौगोलिक परिवेश की विभिन्नता एवं शारीरिक बनावट के कारण भाषाओँ के बीच उच्चारणगत अंतर हो जाता है |इनमे शाब्दिक अभिव्यक्ति को भो हो किन्तु भाव एक होता है |
“अत: भाषा आंतरिक भावों की शाब्दिक अभिव्यक्ति को कहते है |इस प्रकार निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि विश्व की सभी मानव जाति की भाषा एक है और अभिन्न हैं |सभी भाषाएँ एक सामान महत्वपूर्ण और आदर की पात्र हैं |किसी भी भाषा को पूर्ण रूप से भाषा का दर्जा प्राप्त करने के लिए उसमे कारकों का होना अनिवार्य है | ये कारक निम्न हैं –
1 – अपना कारक
2 – क्रिया रूप
3 – सर्वनाम
4 – शब्द कोष
5- उच्चारण रीति
6- लिखित या अलिखित साहित्य
7 – मानस बोधात्मक ध्वनि विसान्गत अभिव्यक्ति एवं तन्मात्रिक बोधात्मक
ध्वनि विसान्गत अभिव्यक्ति |
8- वाक्य संरचना विधि
इनमे से कोई भी कारक न होने पर उपभाषा या बोली के रूप में उसकी गणना किया जायेगा |जैसे भोजपुरी की चार उपभाषाएं हैं –
1 – डूमरावी
2 – काशिका
3 – चम्पारणी
4 – vastika
भारत की सभी भाषाएँ संस्कृत से उत्पन्न हुई है |वैदिक भाषा की मृत्यु के बाद प्राकृत भाषा की उत्पत्ति हुई ,इनकी संख्या छ : है |
1 – मागधी प्राकृत
2 – शौर सेनी प्राकृत
3 – पैशाची प्राकृत
4 – सैन्ध्वी प्राकृत
5 – मालवी प्राकृत
6 – द . प . महाराष्ट्रीय
मागधी प्राकृत के दो रूप है|
1 – अर्द्ध पूर्वी मागधी
2 – अर्ध प . मागधी
अर्द्ध पूर्वी मागधी से अंगिका कौशल ,असमिया ,मैथिलि और उत्कल ( उड़िया ) की उत्पत्ति हुई |
अर्द्ध पश्चिमी मागधी से मगही ,भोजपुरी ,नागपुरिया ( छोटा नागपुर ) तथा छतीसगढि की उत्पत्ति हुई |
भाषा विज्ञानं की कसौटी पर भोजपुरी में आठो कारक मौजूद हैं ,और भाषा के रूप में सम्मान पाने योग्य है |जो लोग भोजपुरी को बोली , विभाषा या हिंदी की उपभाषा कहते हैं उनके बारे में कहा जा सकता है कि वो भाषा विज्ञानं से अवगत नही है |भोजपुरी अपनी भाषा में मिठास के कारन विश्वविख्यात है |
(नरसिंह पूर्व प्राचार्य उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रामेश्वरगंज रोहतास बिहार)