“बिहार की गौरवशाली परम्परा उसकी संस्कृति में निहित है”- परिचय दास

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की- नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो.रवींद्रनाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ एवं मुख्य अतिथि वंदना श्रीवास्तव थी ।
डॉ अभय कुमार ने बिहार के इतिहास को वैज्ञानिक ढंग से संक्षेप में प्रस्तुत किया। अरुण कात्यायन ने बौद्ध दर्शन की मुख्य बातों की व्याख्या की। डी सिंह ने संत कवि दरिया साहब के विचारों की सांस्कृतिक विवेचना की।

कार्यक्रम की आभासी अध्यक्षता करते हुए नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष तथा “गौरवशाली भारत” पत्रिका के “प्रधान संपादक” परिचय दास ने कहा कि बिहार ने गणतंत्र की तमीज़ पूरी दुनिया को दी। बिहार ने कला, साहित्य, संगीत को नई समझ दी।
बिहार ने दुनिया को पहला व्यवस्थित तथा जन सामान्य के लिए पहला विश्व विद्यालय- नालंदा महाविहार दिया। यहीं हिन्दी कविता का आरम्भ सरहपा की कविता से हुआ। सरहपा के साहित्य को मूल्यांकित करने की महती आवश्यकता है। विद्यापति, भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिश्र आदि ने लोक की नई ज़मीन खोजी।
हिन्दी में आंचलिक उपन्यास का आरम्भ रेणु जी द्वारा बिहार में हुआ। रेखाचित्र का जो स्तर बेनीपुरी जी में है, अन्यत्र दुर्लभ है। वीर कुँवर सिंह, जेपी जी, राजेन्द्र प्रसाद ने मनुष्य की स्वाधीनता की नई परिभाषा दी।
कार्यक्रम का संचालन उदय मन्ना ने की। उन्होंंने बिहार की विशेषताओं को संक्षेप में बताया। उन्होंने कहा कि सभी को आपस में मिल कर रहना चाहिए।
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