परिवार रूपी संस्था हमारी जरूरत ही नही बल्कि हमारा दायित्व – डॉ चंद्रशेखर
कुशीनगर -परिवार की संरचना जितनी स्वस्थ्य होगी उतना ही समाज स्वस्थ होगा।हमारे व्यक्तित्व का निर्माण परिवार में ही होता है।हमारी पहली पहचान हमारे परिवार से होती है।हमे अपने परिवार की पहचान से जुड़कर गर्व महसूस होता है।उपरोक्त बातें डॉ विवेक मिश्र ने राष्ट्रीय सेवा योजना कुशीनगर द्वारा आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कहा ।उन्होंने कहा कि तकनीकी ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है तो बहुत कुछ छीना भी है।हम सभी उस दौर की तरफ तेज़ी से बढ़ रहे है जब अगली पीढ़ी को न नाना- नानी से कहानियां सुनने को मिलेगी और न ही दादी से लोरिया सुनने को मिलेगी।हमारे बच्चे दादा व चाचा के कंधों से महरूम हो जाएंगे।बस कुछ बचेगा तो सिर्फ गूगल और सोशल मीडिया का आभाषी व झूठा संसार।
आज की संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ गौरव तिवारी ने कहाकि बदलते परिवेश में परिवार के दो भिन्न आदर्श हम अपने दो महाकाव्यों रामायण व महाभारत में देख सकते हैं।एक में भाई का भाई के प्रेम और त्याग का चरम दिखता है तो दूसरे में भाई का भाई के प्रति घृणा,षणयंत्र,घात/प्रतिघात और लड़ाई का चरम दिखता है।आज की भौतिकता ने संयुक्त परिवार को एकाकी परिवार में बदल दिया है।
आज की संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे डॉ चंद्रशेखर सिंह ने कहाकि परिवार हमारे जीवन की सच्चाई है।हम परिवार में सिर्फ जन्म ही नही लेते है अपितु परिवार के माध्यम से शिक्षा व संस्कार ग्रहण करके अपना विकास करते है।परिवार रूपी संस्था हमारी जरूरत ही नही बल्कि हमारा दायित्व है।
संगोष्ठी में सरस्वती वंदना अनुराधा जायसवाल व उनकी साथियों ने प्रस्तुत किया।उपस्थित अतिथियों, पत्रकार बंधुओ,आचार्यगण व स्वयमसेवको का स्वागत एव परिचय कार्यक्रम अधिकारी डॉ निगम मौर्य ने किया। संगोष्ठी में डॉ सुबोध प्रकाश गौतम , अनिकेत, आदर्श, ऋषभ आँचल, शिवाली, गरिमा आदि उपस्थित रहे।
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