Friday 7th of November 2025 10:16:21 PM

Breaking News
  • बीजेपी ने बड़ी संख्या में वोटरों को बिहार भेजा ,वोट चोरी पर Aap के 3 बड़े खुलासे |
  • प्रियंका गाँधी की CEC ज्ञानेश कुमार को सीधी चेतावनी-शांति से सेवानिवृत्त नहीं होंगे आप |
  • भारतीय हॉकी के 100साल पूरे :मंडाविया बोले -देश को ओलम्पिक में मिली पहचान|
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 13 Apr 2022 5:53 PM |   442 views

गर्मी मे भिण्डी की खेती ज्यादा लाभकारी

भिण्डी की  खेती गर्मी एवं  खरीफ दोनों  मौसम में की जाती है, लेकिन सिंचाई की सुविधा होने पर गर्मी में खेती करना ज्यादा लाभकारी होगा । भिण्डी के हरे ,मुलायम फलों का प्रयोग सब्जी, सूप फ्राई तथा अन्य रुप में  किया जाता है,जो कैन्सर, डायबिटीज, अनीमिया, पाँचन तंत्र के लिये लाभदायक है। पौधे का तना व जड़  , गुड़ एवं खाँड़ बनाते समय रस साफ करने मे प्रयोग किया जाता है। 

प्रसार्ड  मल्हनी ,देवरिया के निदेशक प्रो.रवि प्रकाश मौर्य सेवानिवृत्त वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक   ने बताया कि  भिण्डी ग्रीष्म और वर्षा दोनों मौसम में उगाई जाती है।

इसके लिए पर्याप्त जीवांश एवं उचित जल निकास युक्त दोमट भूमि उपयुक्त रहती है। खेत की तैयारी के समय 3 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद प्रति कट्ठा  (एक है.का 80वाँ भाग ) अर्थात 125 वर्ग मीटर के हिसाब से   बुआई  के 15-20 दिन पहले खेत में मिला देना चाहिए।मृदा जांच के उपरांत ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए यूरिया 1.10 कि.ग्रा., सिंगल सुपर फॉस्फेट 3.00 कि.ग्रा. तथा म्यूरेटआफ पोटाश 800 ग्राम  मात्रा बुवाई के पूर्व खेत में मिला देना चाहिए, तथा आधा-आधा किग्रा. यूरिया दो बार बुआई के 30-40 दिन के अन्तराल पर सिंचाई के बाद देना लाभदायक है।

ग्रीष्म मे  फरवरी से मार्च  तक  तथा खरीफ के लिये जून से 15 जुलाई तक बुवाई की जाती है। बुवाई से पहले बीजों को पानी मे 12 घंटे भिगोकर बोना ज्यादा लाभप्रद है।  गर्मी मे 250 ग्राम तथा बर्षात मे 150 ग्राम बीज  प्रति विश्वा/ कट्ठा  में जरूरत पड़ती है।

समतल क्यारियों में गर्मी मे  कतारों से कतारों की आपसी दूरी 30 सें.मी. तथा पौधो से पौधो की दूरी 15-20 सें.मी. और बरसात  मे 45-50 से.मी. कतार से कतार तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 से.मी. पर रखनी चाहिए। 2 सें.मी. की गहराई पर बुवाई करनी चाहिए।

भिण्डी की किस्मों में काशी सातधारी,काशी क्रान्ति, काशी विभुति ,काशी प्रगति,अरका अनामिका , काशी लालिमा आदि प्रमुख हैं, जो सभी 40-45 दिनो में फल देने लगती है।

खरीफ की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। परन्तु बरसात  न होने  पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। गर्मी मे  सप्ताह मे एक बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। खेत में सदैव नमी रहना चाहिए। देर से सिंचाई करने पर फल जल्दी सख्त हो जाते है एवं  पौधै तथा फल की बढ़वार कम होती है। 

खरपतवार को नष्ट करने के लिये  गुड़ाई करें।कीट व बीमारियों का भी ध्यान रखे।भिन्डी में मुख्य रूप बहुत छोटे छोटे महीन कीटों में से माहू, जैसिड ,  सफेद मक्खी, एवं थ्रिप्स का प्रकोप होता है।  इन सभी कीटों के प्रबंधन के लिए पीला स्टीकर का प्रयोग करें/ 40 ग्राम नीम की गिरी  एवं 1 मिली इन्डोट्रान ( चिपकने वाला पदार्थ) प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।  उन्नत तकनीक का खेती में समावेश करने पर प्रति कट्ठा  (एक हैक्टयर का 80 वाँ भाग ) 120-150किग्रा. तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

Facebook Comments