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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 16 Feb 6:12 PM |   653 views

अरहर की फसल में फली छेदक कीट पर रखे नजर

अरहर की फसल को फली छेदक कीट सर्वाधिक क्षति पहुंचाता है। किसान इसका प्रकोप उस समय समझ पाते हैं जब सूड़ी  बड़ी होकर अरहर की फसल को 5 से 7 प्रतिशत तक क्षति पहुंचा चुकी होती है।

उक्त् जानकारी देते हुए डा.रवि प्रकाश मौर्य (सेवानिवृत्त प्रोफेसर कीट विज्ञान ) निदेशक  प्रसार्ड ट्रस्ट भाटपार रानी देवरिया  ने  किसानों को सलाह दिया कि फेरोमोन् ट्रेप  से अरहर फली छेदक कीट के  प्रकोप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, अरहर में फूल आने की अवस्था से ही फली छेदक कीट का प्रकोप  होने लगता है।

फेरोमोन जाल को डंडे से खेत में फसल से दो फीट की ऊंचाई पर बाधा  जाता है। फसल में इस जाल का प्रयोग 5 ट्रेप  प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए व जाल में फंसे अरहर  फली छेदक के नर पतंगों  की नियमित निगरानी करनी चाहिए।

जब  औसतन 4-5 नर पतंगे प्रति( गंधपास ) ट्रेप  लगातार 2-3 दिनों तक दिखाई देने लगे तो नियंत्रण करना आवश्यक हो जाता है।  तब 25 फेरोमोन ट्रेप  प्रति हैक्टेयर में लगा दें। एक जाल से दूसरे जाल की दूरी 30 मीटर होनी चाहिए।

इसके अतिरिक्त बन रही फलियां  विभिन्न स्थानों से 25 तोड़ कर उसे चीर कर देखे यदि उसमें  कीट का लार्वा दिखाई देता है तो   इस कीट के नियंत्रण के लिये  जैविक कीटनाशी  एच. एन.पी.वी.300 -350  एल.ई. 300-350 लीटर पानी  या बी.टी.  कुर्सटाकी  प्रजाति 1-1.5 किलोग्राम प्रति 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेअर की दर से छिड़काव  सायं काल सूर्यास्त के समय करनी चाहिये।

यदि यह जैविक कीटनाशी उपलव्ध न हो तभी रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करें।इसके लिये ईमामेक्टीन बेन्जोयट 5 एस.जी. 300 ग्राम  या इन्डेक्सोकार्ब 15.8 ई.सी. 500 मिली या स्पाइनोसाड 45  प्रतिशत एस.सी. 200 मिली  को 1000 लीटर पानी में घोल कर प्रति हैक्टेयर  की दर से छिड़काव करें।

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