Friday 3rd of May 2024 06:23:21 PM

Breaking News
  • जुलाई से पटरी पर दौड़ेगी वन्दे भारत मेट्रो |
  • राहुल गाँधी ने राय बरेली से दाखिल किया नामांकन ,सोनिया और प्रियंका रही मौजूद |
  • मुम्बई मतदान के दिन मेट्रो की दो लाइन पर किराए में 10 प्रतिशत की छूट | 
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 2 Nov 5:33 PM |   331 views

अधिक पैदावार हेतु गेहूं की करें उन्नत खेती

बलिया -आचार्य नरेंन्द्र  देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया द्वारा प्रथम पंक्ति प्रदर्शन योजनान्तर्गत गेहूँ प्रजाति एच.डी. 2967  के प्रदर्शन हेतु कृषकों को  तकनीकी जानकारी दी गयी।
 
केन्द्र के  अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य   ने सलाह दी है कि गेहूं के बेहतर उत्पादन के लिए  भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियों के अनुसार  प्रजातियों का चयन करे तो  गेहूं की खेती से अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकेगा । गेहूं की बुआई के लिये अनुकूलतम् तापमान  21 से 25 से.ग्रे. है। जब मुँह से भाप निकलना प्रारम्भ हो तो समझे की उचित तापमान हो गया।
 
गेहूं की समय से बुवाई के लिए ( 15 नवंबर से 30 नवंम्बर ) नरेंद्र गेहूं- 1012, एचडी- 2967 , नरेंद्र गेहूं- 5054  के.402, डी.वी.डब्ल्यू -90, डी.बी.डब्ल्यू -17 प्रजातियाँ है। समय से बुवाई करने पर इनकी औसत उपज 55 से 60 कुंतल प्रति है. प्राप्त की जा सकती है ।गेहूं की विलंब से बुवाई हेतु नरेंन्द्र  गेहूं- 1014 ,नरेंंन्द्र गेहूं -1076, एच.डी. -2985( पूसा बसंत) है, जिसकी बुआई  दिसंबर के प्रथम सप्ताह से दिसंबर के अंत तक कर सकते है ,यह प्रजातियां 45 से 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती हैं । इससे अधिक विलंब की अवस्था में गेहूं की हलना  के- 7903 ,उन्नत हलना के- 9423 की बुवाई जनवरी के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है ,यह प्रजातियां 85 से 90 दिन में तैयार हो जाती है तथा इसकी  35 से 45 कुंतल प्रति हेक्टेयर  उपज  है।
 
सामान्य दशा मे 100 किग्रा.  बीज प्रति हैक्टेयर लगता है। बिलम्ब से बुआई की दशा मे 25 प्रतिशत बीज की मात्रा बढा देनी चाहिए।गुणवत्ता युक्त अधिक उपज प्राप्त करने के लिए किसान भाई मृदा परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरकों एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग करें एवं निर्धारित समय पर प्रजातियों का चयन करके अपने खेत में पंक्तियों में बुवाई संपन्न कराएं।  पंक्तियों से पक्तियों की दूरी  20 सेमी. पौध से पौध की दूरी  5 सेमी तथा 4-5  सेमी गहराई पर बुआई करे।ध्यान रहे प्रति वर्ग मीटर मे 400-500 बालीयुक्त पौधे गेहूँ  के  होने चाहिए।
 
सामान्य परिस्थितियों में यूरिया 80 किलोग्राम, डीएपी 130 किलोग्राम, म्यूरेट आफ पोटाश 68 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय बेसल ड्रेसिग मे  प्रयोग करें। खडी़ फसल मे पहली सिंचाईं, बुआई के 20-25दिन  बाद  (ताजमूल अवस्था ) पहली बार   तथा गोभ निकलते समय दूसरी बार  65-65  किग्रा. यूरिया  की टॉप ड्रेसिंग दो बार में प्रयोग की जाए। सकरी एवं चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवारों के एक साथ नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फ्यूरान 75% डब्ल्यू पी .+ मेट सल्फोसल्फ्यूरान मिथाइल 5% डब्लू जी. 40 ग्राम(2.50 यूनिट ) मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से  बुवाई के 20-25 दिन बाद 300 लीटर पानी में घोलकर फ्लैट फैन नोजल से छिड़काव करें ।
 
प्रशिक्षण में  डा.मनोज कुमार ने गेहूँ की प्रजातियों पर चर्चा की ।
 
डा.प्रेमलता श्रीवस्तव ने  गेहूँ के विभिन्न उत्पाद के बारे में बताया। प्रशिक्षण  में ग्राम  मलप  ब्लाक नगरा के 25 कृषकों ने भाग लिया  ,जिनके प्रक्षेत्र पर आधुनिक तकनीक  का प्रयोग कर प्रदर्शन कराया जाना है।
Facebook Comments