मधु्मक्खी पालन उधमिता विकास पर प्रशिक्षण सम्पन्न
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के तत्वावधान में आयोजित मधु्मक्खी पालन उधमिता विकास पर पाँच दिवसीय प्रशिक्षण 25 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 29 अक्टूबर को समाप्त हुआ ।
केन्द्र के अध्यक्ष एवं प्रोफेसर ( कीट विज्ञान) डा.रवि प्रकाश मौर्य ने केन्द्र की तरफ से आयोजित प्रशिक्षण मे आये नवयुवकों को जागरूक किया। उन्होंने विभिन्न गांवों के युवाओं को बताया कि शहद के पोषक तत्व व इसके अन्य गुणों के कारण इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में कहा कि मधुमक्खी पालन शुरू करने के लिए अक्तूबर और नवंबर का महीना सबसे उचित है, क्योंकि मधुमक्खियों को फूलों की आवश्यकता होती है जिससे वे मकरंद व पराग एकत्रित करके शहद बनाती हैं। मधुमक्खी पालन कम से कम 10 डिब्बों/कालोनियों से शुरू करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कालोनी किसी सरकारी या विश्वास के मधुमक्खी पालक से ही लेनी चाहिए और रानी मक्खी बिल्कुल नई होनी चाहिए। मधुमक्खियों की विभिन्न जातियों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि इटालियन मधुमक्खी पालने के लिए सबसे अच्छी है क्योंकि यह जाति शांत प्रवृत्ति की है तथा छत्ता छोड़कर नहीं भागती।
विभिन्न मौसमों में मधुमक्खियों के प्रबंधन के बारे मेें भी विस्तार से बताया और कहा कि गर्मी के मौसम में छत्तों को छाया में तथा सर्दी में धूप में रखना चाहिए तथा बरसात के मौसम में हवा का आवागमन जरूर होना चाहिए।
प्रशिक्षण समन्वयक डा.मनोज कुमार ने बताया कि गर्मी मे कभी भी मधु्मक्खी पालन की शुरुआत नही करनी चाहिए।
डा. प्रेम लता श्रीवस्तव ने बताया कि यदि पुष्प रस की कमी हो तो बराबर भाग मे चीनी और पानी मिलाकर चासनी बनाकर कटोरी में बाक्स के अन्दर रख देना चाहिए। बाक्सों के आसपास घासों की सफाई करते रहना चाहिए ।
डा.सोमेन्द्र नाथ ने कहा कि खाली फ्रेमो को निकाल कर सुरक्षित जगह पर रख दें ताकि बाद में उन फ्रेमों का उपयोग किया जा सके।
मनोज कुमार सिंह मधु्मक्खी पालक बक्सर बिहार ने कहा कि मौन वंशो को मिठाई की दुकान से दूर रखें ताकि मधुमक्खियां जाकर मर ना जाए ।बाक्स को बीच बीच मे सल्फर से सफाई करते रहना चाहिए। जिससे कीट ए्वँ बीमारियों का प्रकोप न हो सके।
सोहाँव ब्लाक के यादवेंद्र यादव प्रभारी सहायक विकास अधिकारी( कृषि) ने बताया कि मधु्मक्खी पालन क्षेत्र में फसलों पर ज्यादा बिषाक्त कीनाशकों का छिड़काव नही करना चाहिए। उन्होंने पराली प्रबंधन पर भी प्रकाश डाला तथा कहा कि खेत मे पराली न जलाकर उसमें वेस्टडिक्मपोजर का प्रयोग कर खाद बनाये।
प्रक्षेत्र प्रबंधक धरमेंन्द्र कुमार ने प्रशिक्षणार्थियो को केन्द्र पर लगी धान.की प्रजाति स्वर्णा शक्ति, अरहर प्रजाति आईपी.ए,203 , नरेन्द्र हल्दी -1 , वर्मी कम्पोष्ट, नाडेप कम्पोष्ट, मशरुम उत्पादन इकाई , नर्सरी आदि का भ्रमण कराकर अवलोकन कराया। प्रशिक्षण में बलिया जनपद के 13 तथा कैमूर बिहार के 10 कुल 23 नवयुवकों ने भाग लिया।
Facebook Comments