Saturday 20th of September 2025 01:25:24 PM

Breaking News
  • करण जौहर को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत ,बिना परमिशन तस्वीर या आवाज़ के इस्तेमाल पर रोक |
  • ऑनलाइन गेमिंग कानून एक अक्टूबर से होगा लागू – वैष्णव |
  • शिवकाशी में नए डिज़ाइन के पटाखों की मांग ,दिवाली से पहले ही कारोबार में चमक की उम्मीद |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 27 May 2021 6:09 PM |   627 views

“सभी धर्मों की मार्मिकता को समझना चाहिए , तभी समाज में शान्ति सम्भव ” – प्रो वैद्यनाथ लाभ

आज नव नालन्दा महाविहार के कुलपति प्रो वैद्यनाथ लाभ की अध्यक्षता में “वर्तमान समय में बौद्ध धर्म की  प्रासंगिकता” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में  डॉ  बालमुकंद  पांडेय ( राष्ट्रीय संगठन मंत्री, अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति योजना),  प्रो दिलीप कुमार महंत ( पूर्व  कुलपति , कल्याणी विश्वविद्यालय)  ,  प्रो विमलेंद्र कुमार ( अध्यक्ष, पालि  एवं बौद्ध अद्धययन  विभाग, बीएचयू ), प्रो शाश्वती  मुत्सुद्दी ( अध्यक्ष, पालि  विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय)  ने भाग लिया  तथा अपने-अपने विद्वत्तापूर्ण  विचार रखे।
 
कुलपति प्रो वैद्यनाथ लाभ जी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में  कहा कि अनुभूत सत्य और सैद्धांतिक सत्य में अंतर है। सनातन और बौद्ध एक दूसरे के पूरक हैं। बुद्धवाद के आधार पर दूसरों से घृणा नहीं होनी चाहिए । धर्म का मर्म समझें। चेतना से ही बौद्ध धर्म की प्रासंगिकता है। 
 
डॉ बाल मुकंद पान्डेय ने कहा कि इतिहास की प्रासंगिकता का होना आबश्यक है वरना वह बीते दिनों का दस्तावेज़ हो जाएगा। राष्ट्रीयता पर बल दें।  राष्ट्रवाद का संकुचन स्वीकार्य नहीं। घृणा को प्रेम से जीतो। आज के कठिन समय से पार पाना है तो प्रकृति से जुड़ो ।
 
प्रो दिलीप महंत ने भारतीय अस्मिता पर बल दिया। ,उन्होंने कहा कि वर्तमान नहीं तो भविष्य क्या होगा ?
 
प्रो विमलेंद्र कुमार ने  बोधीय पक्खीय धम्मा , दु:ख निरोध एवं धम्मानुपस्सना की बात की।
 
प्रो शाश्वती मुत्सुद्दी के अनुसार अतिवाद गलत है।शील में प्रतिष्ठित हों और सच्चाई से आगे बढें।
 
संचालन बौद्ध अद्ध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो राणा पुरुषोत्तम कुमार का था। सभी वक्ताओं विषय में उन्होंने विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने बौद्ध दर्शन को मन की संशिक्षा बताया। उन्होंने बौद्ध दर्शन को क्रान्तिधर्मी बताया।
 
धन्यवाद हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो रवींद्र नाथ श्रीवास्तव “परिचय दास ”  ने ज्ञापित किया। उन्होंने वक्ताओं के विचारों का सार प्रस्तुत किया ।  अध्यक्ष महोदय, वक्ताओं,  भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद एवं दर्शकों मैडम कुलपति नीहारिका लाभ  तथा नव नालंदा महाविहार के शैक्षिक , शिक्षकेतर सदस्यों , शोध छात्रों , अन्य दर्शकों का आभार प्रकट किया।
 
उन्होंने कहा -धर्म सांस्कृतिक रूप में सभी सीमाएं पार कर जाता है। परम्परा और समकाल दोनों धर्म को समझने के उपकरण हैं। सामाजिक मूल्य एवं इतिहास भी नये सिरे से समझे जाने चाहिएं।
Facebook Comments