Tuesday 16th of December 2025 08:59:26 AM

Breaking News
  • अमीर प्रदूषण फैलाते हैं गरीब मार झेलतेंहैं – दिल्ली की जहरीली हवा पर सुप्रीमकोर्ट की तल्ख टिप्पणी |
  • बिहार बीजेपी की कमान संजय सरावगी के हाथ |
  • जेन जी आन्दोलन के तीन महीने बाद ओली का शक्ति प्रदर्शन ,आयोजित की विशाल रैली |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 27 Feb 2021 7:28 PM |   552 views

बसंत

जन जन के मन में जगे,नये सृजन की आस
ली अंगड़ाई प्रकृति ने, आया है मधुमास।
 
पर्ण पुरातन की जगह,नव किसलय का रूप
आभा कंचन सी लगे,पड़ती जब है धूप।
 
खग कुल कलरव से हुआ,गुंजित अपना बाग
द्रुमों की शाख शाख पे, सुमन खेलते फाग।
 
पवन लगे इक बांसुरी,उसका अपना राग
हरे भरे सब खेत हैं,बिहंसे बाग तड़ाग।
 
पंकज सा मन खिल उठे,नैन हुए बेचैन
मस्ती में सब झूमते,दिन हो चाहे रैन।
 
मस्ती लेकर आ गया, है ऋतुराज बसंत
है रौनक चेहरों पर, गृहस्थ चाहे संत।
 
झुरमुट से है झांकता,आम्र वृक्ष का बौर
महुआ का कोंचा लगे, जैसे सिर पे मौर।
 
जौ गेंहू की बालियां,झुक कर करें सलाम
सुमन पीत सरसों जहां,मादक गंध ललाम।
 
करतीं आकर्षित अलि को, कलियों की मुस्कान
तितलियां भी भूल ग‌ईं,अपनी मस्त उड़ान।
 
घायल हैं करने लगे, काजल वाले नैन
भले कोई कलकत्ता, वो रहतीं उज्जैन।
 
                                 डॉ भोला प्रसाद ,आग्नेय
Facebook Comments