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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 4 Jan 6:13 PM |   301 views

कीट व रोग से करें सरसों फसल की सुरक्षाः प्रो. रवि प्रकाश

बलिया -आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र  सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने सरसों की खेती करने वाले किसानों को सलाह दिया है कि इस  समय सरसों में माहूँ यानी चेपा कीट  मुख्य रूप से लगने का ज्यादा डर रहता  है।

इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पीलापन लिये हुए हरे रंग के होते है  जो झुंड के रूप में पौधों की पत्तियों, फूलों, डंठलों, फलियों में  रहते हैं। यह कीट छोटा, कोमल शरीर वाला और हरे मटमैले भूरे रंग का होता है।  बादल घिरे रहने पर इस कीट का प्रकोप तेजी से होता है।

इसकी रोकथाम के लिए कीट ग्रस्त पत्तियों को प्रकोप के शुरूआती अवस्था में ही तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।  सरसों के नाशीजीवों के प्राकृतिक शत्रुओं जैसे इन्द्रगोप भृंग, क्राईसोपा, सिरफिडफ्लाई का फसल वातावरण में संरक्षण करें।

एजाडिरेक्टीन (नीम आयल)0.15 प्रतिशत  2.5 लीटर या   डाईमेथोएट 30 ई.सी. 1 लीटर को 600-700 लीटर पानी मे घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से फसल को कीट से सुरक्षित रखा जा सकता है। सरसों में झुलसा रोग का प्रकोप ज्यादा हो सकता है। इस रोग में पत्तियों और फलियों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं, जिनमें गोल छल्ले केवल पत्तियों पर स्पष्ट  दिखाई देते हैं। जिससे पूरी पत्ती झुलस जाती है। इस रोग पर नियंत्रण करने के लिए 2 किलोग्राम मैंकोजेब 75 प्रतिशत   डब्ल्यू. पी. या  2 किलोग्राम जीरम 80 प्रतिशत डब्ल्यू. पी. या 2  किलोग्राम जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू. पी.  या 3 किग्रा. कापर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू. पी. को  600-700 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

पहला छिड़काव रोग के लक्षण दिखाई देने पर और दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 से 20 दिनों के अंतर पर करें। अधिकतम 4 से 5 बार छिड़काव करने से फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है।

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