Friday 7th of November 2025 12:47:26 AM

Breaking News
  • सम्राट चौधरी का बड़ा दावा -बिहार में लालू परिवार से कोई नहीं जीतेगा चुनाव |
  • दिल्ली का AQI बेहद ख़राब श्रेणी में पहुंचा , आने वाले दिनों में राहत की सम्भावना नहीं |
  • ईडी ने अनिल अम्बानी को धनशोधन मामले में 14 नवम्बर को पूछताछ के लिए बुलाया |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 16 Sep 2020 5:31 PM |   526 views

हिंद में हिंदी

रो कर हिंदी कह रही,मत लो मेरा नाम
कहते अपना हो मुझे, इंग्लिश में सब काम
जहां राष्ट्रभाषा नहीं,गूॅगा है वह देश
ना विश्व में होय कहीं,मन में है यह क्लेश।
 
सौतेलापन है शुरू, आजादी के बाद
अपनों के कारण यहां,हुई हिंदी बर्बाद
सोच रही हिंदी सदा,कैसी है तकदीर
रहूं उपेक्षित मैं यहां,सौतन खाए खीर।
 
सम्मानित सबने किया,जब तक रहे गुलाम।
जब अपना शासन हुआ,यह कैसा अंजाम
छोड़ अपने भारत को,चले गए अंग्रेज
फिर भी शिक्षा में दिखे, हिंदी से परहेज़।
 
हिन्दी वालों को गधा, इंग्लिश वाले शेर
समझते हैं आज सभी, कैसा है अन्धेर
बोल बाला इंग्लिश का,दीख रहा चहुंओर
हिंदी दिवस मना रहे, करते केवल शोर।
 
शकुन्तला की भाॅति ही, हिंदी का परित्याग
दुष्यंत न लौटे कभी, झूठा था अनुराग
घर घर में हैं खिल रहे, इंग्लिश के ही फूल
हैं किस्मत पर रो रहे, हिंदी के स्कूल।
 
( डॉ 0 भोला प्रसाद आग्नेय, बलिया ) 
Facebook Comments