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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 13 Aug 11:54 AM |   864 views

बच्चे एवं नवजात शिशु की सर्जरी समय से कराएं नहीं तो बढ़ेगी परेशानी-डॉ रेनू कुशवाहा

                   
गोरखपुर- एक तो कोरोना काल साथ ही आजकल तमाम तरह के संचारी रोगों का फैलने का समय इसलिए सबसे पहले साफ-सफाई, मास्क एवं दो गज की दूरी का ध्यान रखें। बच्चे को समय से  नहलाये, साफ कपड़े पहनाए, तेल,काजल और पाउडर का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें   |   
 
कई बार ऐसा होता है कि बच्चे जन्म लेते हैं तो बच्चों में कई तरह के केस सामने आते हैं जैसे बच्चो के सभी अंग विकसित नही होना या बच्चा जब दूध पीता है तो वो पेट मे न जाकर फेफड़े में चले जाना।ऐसे में उसे सर्जरी कर सही किया जाता है ये बातें डॉ रेनू कुशवाहा ने बताया।बच्चे के जन्म लेते ही सर्जरी की बात सुनकर माता-पिता का डर जाना स्वाभाविक है। 
 
 बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में एसोसिएट प्रोफेसर एवं नवजात शिशु एवं बाल रोग सर्जन डॉक्टर रेनू कुशवाहा का कहना है कि जन्मजात विकृति या पैदा होने के बाद किसी बीमारी के लक्षण होने पर कई बार सर्जरी की तुरंत जरूरत होती है। नवजात शिशु में विकृतियां जैसे मलद्वार (शौच के रास्ते का बंद होना) लड़कियों में पेशाब एवं शौच का रास्ता एक होना, आंतों में उलझन, पेशाब के रास्ते का जन्म से विकसित न होना, लड़का-लड़की का पहचान नहीं होना,सीर या रीड के हड्डी पर फोड़ा या ट्यूमर, सिर का बड़ा होना,जन्म से या उसके बाद हर्निया, कौड़ी का अपने जगह पर नहीं होना उपरोक्त कोई भी लक्षण बच्चे या नवजात में है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इसका समय से इलाज कराना चाहिए ताकि बच्चे का बचपना ना छीनें और बड़ा होकर हीन भावना का शिकार ना हो।
 
मूल रूप से कुचायकोट गोपालगंज बिहार की निवासी डॉ रेनू कुशवाहा ने अभी तक पिछले 5 वर्षों में पूर्वांचल एवं उत्तरी बिहार के 500 से ज्यादा नवजात शिशुओ एवं बच्चों की जटिल सर्जरी कर उन्हें जीवनदान दे चुकी है।डॉ रेनू कुशवाहा ने बताया कि नवजात शिशु से 16 साल तक के बच्चों का ऑपरेशन पीडियाट्रिक सर्जरी में शामिल होते हैं। निमोनेटल एव पीडियाट्रिक सर्जरी की तकनीक बहुत आगे बढ़ चुकी है। नवजात शिशुओं में बेहोशी की दवा देकर या सुंघाकर  सुरक्षित सर्जरी दूरबीन विधि, रोबोटिक या ओपन तकनीक से की जाती है।  इसके अलावा भी नवजात शिशुओं की आजकल तमाम बीमारियों का इलाज संभव है। निराश होने की जरूरत नहीं है बस जरूरत है जागरूकता की।
 
                                           ( संजय सिंह )
 
 
 
 
 
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