कद्दू वर्गीय सब्जियों मे फल मक्खी से करे बचाव
बलिया – इस समय कद्दू वर्गीय सब्जियों में फल मक्खियों की समस्या काफी बढ़ जाती है, इस कीट का प्रकोप सर्वाधिक मार्च से सितंबर महीने तक रहता है। इस दौरान सावधानी न रखने से आधे से अधिक फलों का नुकसान हो सकता है। इस कीटों से बचने के लिए किसान रासायनिक कीटनाशी का प्रयोग अधांधुध करते है। इससे कीट तो कम मरते हैं, लेकिन मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को काफी नुकसान होता है।
इस बारे में आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्व विधालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव ,बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर रविप्रकाश मौर्य ने बताया कि फल मक्खी की प्रौढ़ का शरीर लाल भूरे रंग का पंख पारदर्शक एवं चमकदार होता है जिन पर पीले भूरे सुनहले रंग की धारियां होती हैं ।मादा मक्खी फल के छिलके मे बारीक छेद कर उसमें अंडे देती है, जिससे फल के छिलके पर छोटे-छोटे बदरंग धब्बे पड़ जाते हैं अण्डे से ग्रब्स निकल कर फलों के अन्दर के गूदे खाकर क्षति पहुंचाते है। जिससे फल सड़कर असमय ही गिर जाता है।
लौकी, करेला, खीरा, तोरई, कुम्हड़ा, खरबूजा, तरबूज एवं टिण्डा इत्यादि सब्जियों को यह मक्खी क्षति पहुँचाती है।फल मक्खी की समस्या से निजात पाने के लिए गर्मी मे खेत की गहरी जुताई करनी चाहिये । फ्रूट फ्लाई ट्रैप 10 प्रति एकड़ क्षेत्रफल मे लगा दें ।नियमित अंतराल पर खेत मे क्षतिग्रस्त फलों को तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिये। प्रलोभन के रूपमे 20 मिली. मैलाथियान 50 ई.सी. + 200 ग्राम गुड़ को 20लीटर पानी मे घोलकर कुछ चुने हुए पौधों (100पौधे/ एकड़) पर छिड़काव करना चाहिये जिससे प्रौढ़ आकर्षित होकर आते है और मर जाते है। नीम की गिरी 4 किग्रा को बारीक कर 100 लीटर पानी मे 12घंटे भिगोकर ड़डे से हिलाकर महीन कपडे़ से छानकर प्रति एकड़ मे छिड़काव करे।
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