“राष्ट्र निर्माण में डॉ भीमराव अंबेडकर की भूमिका” पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया
इस अवसर पर “राष्ट्र निर्माण में डॉ भीमराव अंबेडकर की भूमिका” विषय पर बोलते हुए उदित नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय पडरौना में सहायक आचार्य डॉ विश्वंभर नाथ प्रजापति ने कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहां विभिन्न धर्म, विश्वास, भाषा, संस्कृति और जातियों में बटे लोग रहते है।ऐसे विविधतापूर्ण समाज को राष्ट्र के रूप में पिरोना आजादी के बाद एक बड़ी चुनौती थी।
ऐसे समय में भारतीय समाज को एक इकाई के रूप में पिरोने का महती कार्य डॉ भीमराव अंबेडकर ने किया।उन्होंने हिंदू समाज को उसकी आंतरिक बुराइयों से मुक्त कर एक राष्ट्र के रूप बदलने का भगीरथ प्रयास किया। यह तथ्य बहुत कम लोग जानते हैं कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने अछूतोद्धार और सामाजिक समानता के द्वारा हिंदू समाज को एकजुट करने का महत्वपूर्ण कार्य न किया होता तो यह देश कई खंडों में बट गया होता।बाबा साहब अम्बेडकर समाज को एकजुट करने के साथ ही आर्थिक विकास की जरूरत पर ध्यान दिया।आपने महिला और पुरुष की मजदूरी में अंतर के खिलाफ कानून बनाकर समान कार्य हेतु समान वेतन के सिद्धांत को लागू किया।
विशिष्ट वक्ता सुमित त्रिपाठी ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर को ठीक से समझने हेतु अभी और अध्ययन करना पड़ेगा।भारतीय राष्ट्र को गढ़ने में जिन दो व्यक्तिव का महत्वपूर्ण योगदान है उनमें महात्मा गांधी के बाद दूसरे नायक डॉ भीमराव अंबेडकर हैं। डॉ भीमराव अंबेडकर ने समान नागरिक संहिता की वकालत सबसे पहले की।आपके सदप्रयासो से ही आजादी के तुरंत बाद हिन्दू समुदाय में सुधार हेतु हिन्दू कोड बिल पास हुआ।आप सच्चे अर्थों में राष्ट्र प्रेमी थे।
मुख्य अतिथि तहसीलदार कसया धर्मवीर सिंह ने डॉ भीमराव अंबेडकर के योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आपने समाज में एकता,राष्ट्र की अखंडता,लैंगिक भेदभाव और अछूतपन के खिलाफ जीवन भर संघर्ष किया।आपने कहाकि भारत और हिंदू समाज की एकता हेतु डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा किए गए प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण है।आधुनिक भारत की नींव रखने वालों में डॉ भीमराव अंबेडकर का नाम अग्रणी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ निगम मौर्य ने बताया कि पूना समझौता भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना है।इस समझौते ने हिंदू समाज की एकता को सुनिश्चित किया।आजादी के तुरंत बाद कानून मंत्री के रूप में डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की मंशा उनकी दूरदृष्टी और भारतीय समाज को एक राष्ट्र एक कानून के तहत संचालित करने की सोच को परिलक्षित करता है।कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती और भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्जन के साथ हुआ।
अतिथियों ने सबसे पहले संग्रहालय की स्थापना दिवस और डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।प्रदर्शनी में डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन को छायाचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
अतिथियों का स्वागत और परिचय संग्रहालय प्रभारी टी पी शुक्ल ने किया। मंच संचालन स्वयंसेविक वाशु प्रसाद गोंड ने किया जबकि आभार ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ पारस नाथ ने किया।इस अवसर डॉ राकेश सोनकर और स्वयंसेविका सिंपल गौतम ने भी अपने विचार रखे।
आज इस कार्यक्रम में एस पी ई एल कार्यक्रम के तहत पुलिस अनुभवात्मक प्रशिक्षण प्राप्त किए 25 स्वयंसेवकों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया।आज कार्यक्रम में प्रफुल्लचंद गौड़,संजय गौड़,अंकित मिश्र,तरुण शुक्ला समेत बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
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