महिमा तेरी बड़ी निराली
विनती सुन लो मां काली,
मेरे संकट हर लो माते
झोली भर दो है खाली ।
महिमा तेरी बड़ी निराली
अदभुत रूप है छवि तेरी,
नाम तेरे अनगिनत हैं माते
संकट हर लो महामाई ।
कृपा होती जिस पर तेरी
धन्ना सेठ वो बन जाता,
दंभ दूर होता संतोषी
सारे ही सुख को पाता ।
मुझ पर भी कृपा करो माते
शत्रु रहित जीने का वर दो,
करो सुरक्षित मुझको जननी
मेरे जीवन से शत्रु हर लो।
कभी घमंडी बन ना पाऊं
मति मेरी ना भरमाए,
विषय भोग में लिप्त रहूं ना
चिंतन हृदय ये रह पाए ।
तेरी अनुकम्पा से माते
दूर कभी ना हो जाऊं,
वर दो ऐसा मुझको अम्बे
तेरे शरण ही रह पाऊं ।
हर पाखंड से दूर रहूं मैं
कृपा ऐसी कर दो मां,
मेरी सूखी बगिया में तुम
हरियाली को भर दो मां ।
कभी किसी का दिल ना दुखाऊं
दुःख का कारण बनूं ना मां,
करते चलू मैं सब की भलाई
आशीष ऐसा दे दो मां ।
मेरी विनती सुनो भवानी
मुझको तुम ठुकराओ ना,
कोई नहीं है जग में मेरा
तुम तो गले लगा लो मां ।
बनी भिखारन संजू आई
दिल में आस लगा के मां,
तुम तो करुणामई हो माते
जीवन से दुःख हर लो ना ।
डॉo संजुला सिंह” संजू”
जमशेदपुर
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