भोजपुरी की तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया गया

जिन तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया गया, वे निम्नवत हैं- भोजपुरी माटी का हीरा डॉ. लारी आजाद, संपादक डॉ. वेद प्रकाश अमिताभ, अंगड़ाई रचयिता रमेश तिवारी, भोजपुरी बाल साहित्य, प्रकाशक प्रोजेक्ट सारथी, इस समारोह को आभासी संबोधन मूखेश्वर चूनी अध्यक्ष गोपियों एवं अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष भोजपुरी पुनर्जागरण मंच, सुश्री भावना सक्सेना कल्चरल अताशी पूर्व भारतीय दूतावास सूरीनाम, डॉ. श्वेता तृप्ति अध्यक्ष केंद्रीय हिंदी विभाग त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल ने किया।
मुखेश्वर चूनी ने अपने संबोधन में कहा कि भोजपुरी पुनर्जागरण मंच का मुझे अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है मैं इस गरिमामयी उत्तरदायित्व को निर्वहन करने का प्रयास करूंगा क्योंकि भोजपुरी भाषा और भोजपुरी संस्कृति हमारे पूर्वजों की विरासत है।
भावना सक्सेना ने कहा कि भोजपुरी भाषा और संस्कृति दुनिया की समृद्धि भाषा और संस्कृति है| इसे सुरक्षित करना इसको आगे बढ़ना सभी भोजपुरी भाषी लोगों का पवित्र कर्तव्य है हम अपने समर्थ के अनुसार इस पावन कार्य में सहभागी होने का वादा करती हूं।
प्रो .श्वेता तृप्ति ने अपने संबोधन में पुनर्जागरण मंच को अपने विश्वविद्यालय में भोजपुरी भाषा और संस्कृति से संबंधित कार्यक्रम करने के लिए आमंत्रित किया।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. लारी आजाद ने कहा कि भोजपुरी एक ऐसी भाषा है जो एक दूसरे को जोड़ती है भारत के बाहर सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी है ऐसी समृद्ध भाषा जिसके द्वारा भारत की एक अंतरराष्ट्रीय पहचान है भारत के संविधान में सम्मान मिलना चाहिए, भोजपुरी पुनर्जागरण मंच भोजपुरी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए सतत प्रयत्नशील है।आप सभी लोगों को इस मुहिम में भोजपुरी पुनर्जागरण मंच का साथ देना चाहिए।
भोजपुरी पुनर्जागरण मंच के महामंत्री रमेश तिवारी ने अपने संबोधन में भोजपुरी साहित्य और कला में फहरते अश्लीलता को मिटाने के लिए और रोकने के लिए हमें आगे आना चाहिए इस संदर्भ में एक गीत भी सुनाया जो उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया |
“कईले ऊघार बानी आपने बेटा-बेटी देखि सुनि कुफुत होखे”
महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। सहभागिता बबीता प्रजापति, सृष्टि तिवारी, तनुश्री चौहान, नीतू पटेल, सवाना बानो, संजना यादव, नित्या पांडे, शीश कली यादव, अभिषेक सैनी,शिव चौरसिया, अभिषेक चौहान की रही। इनको भोजपुरी पुनर्जागरण मंच के द्वारा मेडल, पुस्तक, और प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया।
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