राष्ट्रीय कला शिविर ‘‘हुनर के रंग‘ कार्यक्रम का शुभारम्भ
गोरखपुर -राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा आयोजित नव दिवसीय राष्ट्रीय चित्रांकन पूर्णता शिविर, (गोरखपुर सत्र) ‘‘नवनाथ एवं नाथ परम्परा‘‘ तथा राष्ट्रीय कला शिविर ‘‘हुनर के रंग‘‘ (चित्रकला, टेराकोटा कला, लिप्पन कला एवं शुभांकन कला) कार्यक्रम का शुभारम्भ आज मुख्य अतिथि- डाॅ0 मंगलेश कुमार श्रीवास्तव, महापौर, नगर निगम, गोरखपुर; विशिष्ट अतिथि सुधा मोदी, प्रांत महिला प्रमुख मातृ मण्डल सेवा भारती एवं प्रोफेसर शिव शरण दास, पूर्व छात्र अधिष्ठाता, गोरखपुर विश्वविद्यालय की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
उक्त अवसर पर नवनाथ एवं नाथ परम्परा राष्ट्रीय चित्रांकन शिविर की पूर्णता हेतु नवीन सोनी, प्रोफेसर, ललित कला विभाग, कच्छ विश्वविद्यालय, गुजरात; कल्पना, वरिष्ठ चित्रकार भुज; पियूष अकोला, महाराष्ट्र; अवनीबेन चित्रकार, भुज; मीत ध्रंगधरिया भावनगर, गुजरात एवं हुनर के रंग कला शिविर में उत्तर प्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक मन्दिर यथा गोरखनाथ मन्दिर, राममन्दिर-अयोध्या, काशी विश्वनाथ मन्दिर-वाराणसी, कृष्ण जन्मभूमि-मथुरा का चित्रांकन करने के लिए युवा चित्रकार विनोद सिंह, लखनऊ, राजकुमार सिंह, आराधना वर्मा, अन्नपूर्णा वर्मा बाराबंकी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।


लिप्पन एवं शुभांकन कला हेतु दीपिका सिंह के निर्देशन में 11 कलाकारों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर द्वारा उत्तर प्रदेश तथा गुजरात राज्य के संयुक्त तत्वावधान में नवनाथ परंपरा पर आधारित नवदिवसीय चित्रांकन शिविर के लिए जो पहल की गई है वह अत्यंत ही सराहनीय है। मुझे आज पहली बार इस कला आयोजन के माध्यम से यह पता चला कि नाथपंथ के एक योगी कंथडनाथ का सम्बन्ध गुजरात राज्य से भी है, जिनकी गणना नवनाथ में प्रमुखता से की जाती है। मैं संग्रहालय में सृजित हो रहे चित्रों को देखकर स्तब्ध एवं प्रफुल्लित हूॅं।
राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर के उप निदेशक डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर ने कहा कि संग्रहालय अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से निरन्तर युवा कलाकारों को, साहित्यकारों को, इतिहासकारों तथा पुरातत्वविदों सहित अन्य क्षेत्र की प्रतिभाओं को अलग-अलग मंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। संग्रहालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर के दोनों कला शिविरों में कला के विविध स्वरूपों को चित्रांकन, टेराकोटा, लिप्पन एवं शुभांकन कला के माध्यम से सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है।
नवनाथ एवं नाथ परम्परा पर सृजित 20 चित्रों को एक स्मारिका के रूप में ऐतिहासिक तथ्यों को समाहित करते हुए यथाशीघ्र अन्तिम रूप दिये जाने का प्रयास किया जायेगा। यह शिविर न केवल दो राज्यों के सांस्कृतिक पक्ष को प्रस्तुत कर रहा है बल्कि दोनों राज्यों के आध्यात्मिक सम्बन्धों को भी अभिलेखीकरण के माध्यम से संजोने की पहल कर रहा है।
यहाॅं यह भी उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत राष्ट्रीय कला शिविरों का समापन 17 मार्च, 2025 को अपरान्ह 4.30 बजे प्रदर्शनी के आयोजन एवं प्रमाण-पत्र वितरण कार्यक्रम के साथ किया जायेगा।
संग्रहालय द्वारा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि को संग्रहालय की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
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