उपचुनाव की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी BSP, मायावती ने किया ऐलान
लखनऊ- बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को ऐलान किया कि निकट भविष्य में राज्य की 10 रिक्त विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में उनकी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी और पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी। मायावती ने लखनऊ में प्रदेश कार्यालय में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की एक समीक्षा बैठक में उपचुनाव लड़ने की घोषणा की। अमूमन उपचुनावों से दूर रहने वाली बसपा ने इस उपचुनाव को पूरे दमखम से लड़ने का फैसला किया है।
बसपा प्रमुख ने इस बयान की प्रति अपने आधिकारिक एक्स खाते पर भी साझा की। उन्होंने आग्रह किया कि चूंकि, बसपा गरीबों, वंचितों और पीड़ितों की पार्टी है तथा दूसरे दलों की तरह यह बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों के सहारे और इशारे पर नहीं चलती है, इसलिए इसके समर्थक पूरे तन-मन-धन से सहयोग कर पार्टी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाएं। राज्य में 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश कीकुल 403 सीटों में से सिर्फ एक सीट जीतने और लोकसभा चुनाव में पूरी तरह सफाया होने के बाद बसपा की उम्मीदें उपचुनावों पर टिकी हैं।
आरक्षण को लेकर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अंदर उप-वर्गीकरण और ‘क्रीमी लेयर’ संबंधी मामलों के बीच बसपा प्रमुख अब पूरे तेवर में दिख रही हैं। उत्तर प्रदेश के नौ विधायकों ने लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद विधानसभा से इस्तीफा दे दिया जबकि इरफान सोलंकी को एक आपराधिक मामले में सजा सुनाये जाने के बाद उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। वह कानपुर के सीसामऊ से समाजवादी पार्टी के विधायक थे। इस तरह प्रदेश में विधानसभा की कुल 10 सीटें रिक्त हुई।
मायावती ने आरोप लगाया कहा, इन मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए वे (भाजपा) विनाशकारी बुलडोजर राजनीति का सहारा ले रहे हैं और लगातार नए जातिवादी और धार्मिक उन्माद/विवाद पैदा करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। बसपा प्रमुख ने दावा किया, ‘‘इसी क्रम में धर्मांतरण पर नया कानून (लाया गया है), एससी-एसटी समाज के लोगों का उप-वर्गीकरण और ‘क्रीमी लेयर’ उन्हें विभाजित करने का नया प्रयास है। जातिगत जनगणना को नकारना, मस्जिदों-मदरसों और वक्फ के संचालन में सरकारी हस्तक्षेप किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता का गरीब और मेहनतकश वर्ग स्वाभिमान के साथ जीने, सम्मान के साथ रोजी-रोजगार कमाने की कोशिश कर रहा है लेकिन सरकार इसपर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है। बसपा प्रमुख ने कहा कि सरकार की नीयत और नीति पर जनता अब आंख बंद कर विश्वास नहीं करती है, लिहाज़ा बसपा को अपनी गरीब व सर्वजन हितकारी बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय की नीति और सिद्धांत के जरिए जनता का विश्वास जीतने का प्रयास जारी रखना होगा, जिसका चुनावी लाभ भी जरूरी एवं स्वाभाविक है।
इससे पहले रविवार को मायावती ने दावा किया कि आरक्षण की रक्षा करने का वादा करके लोकसभा सीटें जीतने वाली कांग्रेस एससी और एसटी के भीतर उप-वर्गीकरण के पक्ष में दिखती है और इन समुदायों में ‘क्रीमी लेयर’ को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने के मुद्दे पर अब तक अपनी आवाज नहीं उठा रही है।