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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 7 Aug 2024 5:32 PM |   253 views

मुख्यमंत्री ने ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की मूर्ति का किया अनावरण

अयोध्या – मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या दौरे के दूसरे दिन सरयू अतिथि गृह से निकलकर सीधे सरयू घाट/राम कथा पार्क स्थित पूज्य परमहंस रामचंद्र दास महाराज के समाधि स्थल पर पहुंचकर श्रीराम जन्मभूमि न्यास के प्रथम अध्यक्ष ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास महाराज की 21वीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, महंत सुरेश दास आदि अन्य भक्तों ने भी पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अगले चरण में मा0 मुख्यमंत्री जी सरयू घाट से निकलकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास महाराज से भी मुलाकात की। मणिराम दास छावनी पहुंचकर  मुख्यमंत्री ने उनका कुशलक्षेम जाना तथा उनके उत्तम स्वास्थ्य की भी कामना की।

वहीं मुख्यमंत्री  बड़ा भक्त माल भी गए, जहां उन्होंने किशोर दास जी महाराज से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। यहां सीएम को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान महंत अवधेश दास व अन्य संत भी मौजूद रहें।

तत्पश्चात  मुख्यमंत्री दिगम्बर अखाड़ा में आयोजित ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी की 21वीं पुण्यतिथि कार्यक्रम में पहुंचे।

मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने दिगम्बर अखाड़ा में पहुंचकर अनन्त विभूषित प्रतिवाद भयंकर श्री रामजन्मभूमि न्यास के प्रथम अध्यक्ष संत समाज के गौरव दिगम्बर अखाड़ा के साकेतवासी महंत  परमहंस दास जी महाराज की 21वीं पुण्यतिथि पर दिगम्बर अखाड़ा परिसर में साकेतवासी  महंत परमहंस दास जी महाराज की मूर्ति का अनावरण किया गया।

मुख्यमंत्री ने यहां पूजन-अर्चन व पौधरोपण भी किया। तत्पश्चात आयोजित कार्यक्रम में अपना सम्बोधन देते हुये कहा कि गौरक्ष पीठ गुरु पूज्य महंत अवेद्यनाथ के साथ दिगंबर अखाड़ा के ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास भी राम जन्मभूमि के अगुआ रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के परम भक्त पूज्य ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास का पूरा जीवन रामजन्मभूमि के लिए समर्पित रहा। उन्होंने इस आंदोलन को जीवन का मिशन बनाया। संतों का संकल्प एक साथ एक स्वर में बढ़ा तो अयोध्या में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। मेरा सौभाग्य है कि 21 वर्ष बाद ही सही, उनकी प्रतिमा के स्थापना का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोरक्षपीठ गोरखपुर और दिगंबर अखाड़ा अयोध्या 1940 के दशक से एक दूसरे के पूरक बनकर कार्य करते थे। जब रामचंद्र दास महराज बचपन में अयोध्या धाम आए थे, तबसे उनका लगाव गोरक्षपीठ से था। तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ के सानिध्य में रहकर रामजन्मभूमि आंदोलन आगे बढ़ा। 1949 में रामलला के प्रकटीकरण के साथ ही तत्कालीन सरकार द्वारा प्रतिमा को हटाने की चेष्टा के खिलाफ न्यायालय में जाने और वहां से सड़क तक इस लड़ाई को बढ़ाने का कार्य गोरक्षपीठ व पूज्य संत परमहंस रामचंद्र दास जी महराज ने मिलकर किया। इसी का परिणाम है कि पूज्य संतों की साधना फलीभूत हुई और 500 वर्षों का इंतजार समाप्त हुआ।

अयोध्या में रामलला विराजमान हुए। देश और दुनिया में अयोध्याधाम फिर से त्रेतायुग का स्मरण कराता दिख रहा है। यहां के संतों का गौरव बढ़ा और अयोध्या को नई पहचान मिली। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में पीएम मोदी ने अयोध्या में उच्चतम न्यायालय के आदेश के क्रम में भव्य मंदिर निर्माण कार्य का शिलान्यास व भूमि पूजन किया गया। जिसके बाद 22 जनवरी 2024 को रामलला फिर से अयोध्या धाम में 500 वर्षो बाद विराजमान हुए।

मुख्यमंत्री ने कहा जब 22 जनवरी 2024 को रामलला विराजमान हुए तो पूज्य संतों की आत्मा को शांति प्राप्त हुई। उन्हें भी वर्तमान पीढ़ी पर विश्वास हुआ होगा कि यह सही दिशा में कार्य कर रही है। उनका आशीर्वाद पीएम मोदी को प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि परमहंस रामचंद्र दास जी महराज मेरे पूज्य गुरु के तुल्य थे। गोरखपुर से अयोध्या, लखनऊ और प्रयागराज जाते समय गुरु जी मुझसे पूछते थे कि अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा गए थे, परमहंस जी का हालचाल लिया। मैं यदि भूल गया तो वे मुझे डांटते भी थे। कहते थे वह मेरे लिए गुरु भाई हैं।

जब भी इस रास्ते जाता था तो मुझे पता था कि मेरे गुरुदेव पूछेंगे कि परमहंस जी की तबीयत कैसी है, मेरे पास जवाब नहीं होता था, इसलिए पहले मैं उनके पास पहुंचकर हालचाल लेता था। वह अपने दरवाजे पर बैठकर मस्ती के साथ लोगों से बातचीत करते थे। लोग समझ नहीं पाते थे यह संत दिव्य, भव्य, चमत्कारिक व नेतृत्व करने वाले हैं। उनका वात्सल्य भी हमें देखने को मिलता था। उन्होंने अपना जीवन लक्ष्य, मूल्यों, सनातन धर्म की परंपरा के लिए जिया था। वह कहते थे कि अयोध्या में रामलला का मंदिर बने, यह मेरे जीवन का अंतिम संकल्प है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या में अनेक प्रयास भी किए गए हैं। इसने संतों का गौरव बढ़ाया है और अयोध्यावासियों को पहचान दिलाया है। हमें इस सम्मान को बरकरार रखने का प्रयास करना है। मिले हुए सम्मान को संरक्षित व सुरक्षित करने में हमारा प्रयास सार्थक हुआ तो लंबे समय तक इस सम्मान के पात्र बने होंगे। डबल इंजन सरकार यही कार्य कर रही है। एक तरफ राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर का निर्माण हो रहा है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जनसहयोग से जनभावनाओं के अनुरूप मूर्त रूप दे रहा है तो बाहर अयोध्या का सुंदरीकरण भी हो रहा है। पांच-सात वर्ष बाद अयोध्या आने वाले लोग अचंभित हैं। यहां इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सौगात मिली है। देश-दुनिया से अयोध्या धाम की कनेक्टिविटी बढ़ी है। रेलवे की बेहतरीन सुविधा प्राप्त हुई है। राम की पैड़ी, मठ-मंदिरों के सुंदरीकरण का कार्य हुआ।

उन्होंने कहा कि हमें जातिवाद व छूआछूत से मुक्त ऐसे समाज की स्थापना करनी है, जिसके लिए प्रभु श्रीराम ने अपना जीवन समर्पित किया था। निषाद राज के नाम पर अयोध्या के यात्री विश्रामालय बन रहे हैं। श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या धाम में महर्षि वाल्मीकि के नाम पर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बना है। यात्रियों के लिए लगने वाले भंडारे की रसोई का नाम माता शबरी के नाम पर है। प्रभु श्रीराम ने सबको जोड़ा था और हमें भी प्रभु राम के मूल्यों-आदर्शों के जरिए उन मार्गों का अनुसरण करना होगा। प्रभु राम का भक्त बनने के लिए हमें भी उनके आदर्शों से प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए।

इस अवसर पर कार्यक्रम में दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी महराज, राघवाचार्य जी महराज, धर्मदास जी महराज, विजय कौशल महराज, रामलखन दास महराज, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, श्रम राज्यमंत्री मनोहर लाल मन्नू कोरी, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, विधायक वेद प्रकाश गुप्त, विधायक अमित सिंह चैहान, विधायक रामचंद्र यादव, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद, जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरन नैय्यर, पुलिस अधीक्षक नगर, अपर जिलाधिकारी नगर, उप जिलाधिकारी सदर सहित अन्य गणमान्य एवं अधिकारी आदि मौजूद रहे। 

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