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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 1 Aug 2024 5:04 PM |   372 views

विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर ग्रामीण महिलाओं का प्रशिक्षण सम्पन्न

अयोध्या -आज आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित   सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के मानव विकास एवं परिवार अध्ययन विभाग द्वारा  महिला अध्ययन केंद्र एवं आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत विश्व स्तनपान सप्ताह (दिनांक 1 से 7 अगस्त) के अवसर पर ग्राम बहुबरा, विकासखंड-कुड़वार, जिला- सुल्तानपुर में ग्रामीण परिवेश में धात्री  माता एवं शिशु स्वास्थ्य रक्षा विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
 
कार्यक्रम में सर्वप्रथम परियोजना स्टाफ कुमारी आकांक्षा सिंह ने समस्त अतिथियों तथा ग्रामीण महिलाओं का स्वागत किया ।
 
कार्यक्रम के प्रारंभ में विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सुमन प्रसाद मौर्य ने बताया कि  स्तनपान कराने वाली माता को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।  प्रतिदिन संतुलित आहार जैसे अनाज,  हरी सब्जियां, फल इत्यादि उचित मात्रा में अपने आहार में लेनी चाहिए तथा डॉ की सलाह पर विटामिन व खनिज लवण की गोलियां भी खानी चाहिए ।
 
सहायक अध्यापक डॉ. प्राची शुक्ला ने शिशु स्वास्थ्य रक्षा  में टीकाकरण के योगदान पर चर्चा करते हुए बताया कि टीकाकरण कराने से हम अपने शिशु को कई गंभीर बीमारियों जैसे  – टिटनेस,  टी बी, पोलियो , डिप्थीरिया मीजल्स  आदि से बचा सकते हैं । टीकाकरण में समय का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है  । जिस अवस्था में जो टीका लगवाना है उसे समय से लगवा देना चाहिए, अन्यथा बीमारी का खतरा बढ़ जाता है| शिशु का शरीर नाजुक होता है इसीलिए किसी भी बीमारी के प्राथमिक लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सालय  पर जाकर  उसकी जांच करा लेनी चाहिए । शिशु का आहार ऐसा होना चाहिए जिससे उसका उचित विकास हो सके ।
 
कार्यक्रम की अगली कड़ी में सहायक प्राध्यापक सरिता श्रीवास्तव ने बताया कि शिशु जब 6 महीना का हो जाता है, तब उसकी पौष्टिक आवश्यकताओं पूरा करने के लिए शिशु को माता के दूध के साथ ऊपरी आहार भी देना चाहिए। इस आहार को पूरक आहार कहते हैं । पूरक आहार के रूप  उबली हुई सब्जियां, खिचड़ी, हलवा ,मसले हुए फल इत्यादि मुलायम भोजन दिया जाना चाहिए । उसके अतिरिक्त हम घर पर पौष्टिक मिश्रण तैयार करके भी रख सकते हैं। जिससे शिशु को       आवश्यकता पढ़ने पर तुरंत खिलाया जा सकता है। 
 
उन्होंने गेहूं ,रागी, लाई, दाल ,मूंगफली से पौष्टिक पूरक आहार बनाने का प्रदर्शन करके दिखाया। इस प्रकार पूरक आहार को हम आवश्यकता पड़ने पर तुरंत शिशु को  खिलाया जा सकता है। ग्रामीण महिलाओं ने भी  विषय से संबंधित  प्रश्न पूछे जिसका समाधान किया गया ।
 
कृषि विज्ञान केन्द्र बरासीन के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा.वी.पी.सिंह ने  प्राकृतिक रुप से बच्चों के पैदा होने पर प्रकाश डाला ,उन्होंने बताया कि खान पान से स्वास्थ्य ठीक रहने पर बच्चे बिना आपरेशन के पैदा होगा।  ।
 
प्रो. रवि प्रकाश मौर्य  पूर्व वरिष्ठ कृषि  वैज्ञानिक ने कहा की जहर मुक्त खेती की आवश्यकता है।  फसलों पर कीट लगने पर जैविक कीटनाशक का प्रयोग करें।  अंत में परियोजना स्टाफ कुमारी आकांक्षा सिंह ने समस्त प्रतिभागियों का धन्यवाद प्रस्तावित किया ।
 
यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के  कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह जी तथा महाविद्यालय की अधिष्ठाता प्रोफेसर डॉक्टर साधना सिंह के दिशा निर्देशन  में आयोजित किया गया ।
 
इस कार्यक्रम में उर्मिला देवी,जनक लली, आदि सहित  35 ग्रामीण महिलाओं ने प्रतिभाग किया ।
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