रेल म्यूजियम गोरखपुर का नज़ारा है अदभुत
गोरखपुर- गोरखपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 2 km की दूरी पर स्थित है रेल म्यूजियम |रेल म्यूजियम में रखे गए पुराने इंजन, उपकरण, मॉडल और अभिलेख रेलवे के प्रगति यात्रा की कहानी कह रहे हैं। यह म्यूजियम न सिर्फ शहर बल्कि पूर्वांचल और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रतिदिन लोग यहाँ आते है और ज्ञान को बढ़ाते है |
यह तस्वीर गोरखपुर जंक्शन 1900 है | और आज देखिए कितना बदलाव हुआ है |
प्रवेश शुल्क-
5 वर्ष से ऊपर के लोगो के लिए 20 रु| दोपहर 2 बजे से रात 9 बजे तक गर्मी के मौसम में |सोमवार को बंद रहता है |
लोगों को आकर्षित कर रहा पूर्वोत्तर रेलवे का पहला इंजन
रेल म्यूजियम में पूर्वोत्तर रेलवे का पहला इंजन लार्ड लारेंस लोगों को आकर्षित करता है। इस इंजन का निर्माण लंदन में 1874 में डब्स कंपनी ने की थी। लंदन से इंजन को बड़ी नाव से कोलकाता तक लाया गया था। दरअसल, उत्तर बिहार में जबरदस्त अकाल के दौरान राहत पहुंचाने के लिए वाजितपुर से दरभंगा के बीच महज 60 दिनों में 51 किमी रेल लाइन बिछाई गई थी।
उसी रेल लाइन पर लार्ड लारेंस इंजन 15 अप्रैल, 1874 को राहत सामग्री लेकर दरभंगा पहुंचा था। लार्ड लारेंस को देश की पहली रेलगाड़ी खींचने वाले इंजन लार्ड फॉकलैंड का यंगर सिब्लिंग कहा जाता है। म्यूजियम में नैरो गेज डीजल इंजन भी लोगों को आकर्षित करता है। इस इंजन का निर्माण 1981 में चितरंजन में हुआ था।20 टन क्षमता का ट्रेवलिंग स्टीम क्रेन को भी लोग निहारना नहीं भूलते हैं। इस क्रेन का निर्माण इटली में हुआ था। ओफिसियन मिकानिका ई फोंडी नावाल मिकानिका नेपल्स कंपनी ने वर्ष 1958 में इसका निर्माण किया था। इस प्रकार के क्रेनों का उपयोग रेलवे ट्रैक पर भारी सामानों को उठाने व ट्रैक अवरोधों को हटाने में होता था।
बच्चों के लिए है- बाल रेल गाडी
रेल म्यूजियम में ट्वाय ट्रेन (बाल रेल गाड़ी) बच्चों को आकर्षित करती है। म्यूजियम में प्रवेश करते ही ब’चे पहले ट्वाय ट्रेन पर दौड़कर चढ़ते हैं। ट्रेन के लिए ट्रैक बिछाया गया है। इसके लिए अलग से प्लेटफार्म के साथ रास्ते में क्रासिंग और सुरंग भी बनाया गया है। इसके स्टेशन का नाम गोल्फ कोर्स है। ट्वाय ट्रेन का शुल्क 10 रु है |
120 वर्ष पुराने भवन में लालू यादव ने रखी थीं नींव
पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने रेल विरासतों के महत्व की सामग्रियों को संरक्षित करने तथा धरोहरों को आने वाली पीढ़ी से परिचित कराने के लिए शहर के बीच में रेल म्यूजियम की स्थापना की है। गोल्फ ग्राउंड के सामने स्थित बंगला नंबर पांच में रेल म्यूजियम स्थापित है, जो पूर्वोत्तर रेलवे के सबसे पुराने बंगलों (लगभग 120 वर्ष पुराना) में से एक है। भवन का निर्माण 1890 और 1900 के बीच हुआ। भवन को बनाने के लिए पश्चिम बंगाल से ईंटें मंगाई गई थीं। म्यूजियम की नींव नौ अप्रैल, 2005 को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रखी थी।
1909 में लंदन से मंगाई गई घड़ी बढ़ाती है रुझान
1909 में लंदन से मंगाई गई घड़ी रुझान बढ़ाती है। इसके अलावा बीएफआर स्टीमर, पुरानी तस्वीरें, बाक्स कैमरे, प्लेट कैमरे, स्टेशन टोकन सिस्टम के मॉडल, रेलवे के पुराने उपकरण, सर्च लाइट तथा सैलून के मॉडल आकर्षित करते हैं।
सुरक्षित रखे गए हैं राजघरानों के लोगो
अंग्रेजों के जमाने में रेलवे राजघरानों के अधीन बंटा हुआ था। अंग्रेज अधिकारी राजघराने के नाम पर ही जोन का संचालन करते थे। उन राजघरानों के लोगो जारी होते थे, जिसे पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने म्यूजियम में सहेज कर रखा है।
यहाँ पार्क में बच्चों के लिए झूले है | जहां बच्चे आनंदित होते है |
इस रेल म्यूजियम में खाने- पीने के लिए रेस्तरां है सारी चीजे उपलब्ध है |आप भी आइये और आनंद लीजिये |